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विपक्ष का सरकार पर आरोप : बजट में आर्थिक खुशहाली का केवल ट्रेलर, पूरी फिल्म नहीं

नयी दिल्ली : राज्यसभा में गुरुवार को विपक्ष ने सरकार पर बजट में देश की आर्थिक खुशहाली का केवल ‘‘ट्रेलर” दिखाने तथा रोजगार अवसर, ढांचागत सुधार और घरेलू बचत को बढ़ावा देने के लिए कोई कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया. अर्थव्यवस्था को 5000 अरब डॉलर बनाने के सरकार के लक्ष्य पर तंज कसते हुए […]

नयी दिल्ली : राज्यसभा में गुरुवार को विपक्ष ने सरकार पर बजट में देश की आर्थिक खुशहाली का केवल ‘‘ट्रेलर” दिखाने तथा रोजगार अवसर, ढांचागत सुधार और घरेलू बचत को बढ़ावा देने के लिए कोई कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया. अर्थव्यवस्था को 5000 अरब डॉलर बनाने के सरकार के लक्ष्य पर तंज कसते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था अपने आप इसे हासिल कर लेगी और इसके लिए किसी वित्त मंत्री की भी जरूरत नहीं है.

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विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सत्ता पक्ष ने दावा किया कि यह गांव और गरीब का बजट है और इसमें भविष्य का ‘रोडमैप’ पेश किया गया है. भाजपा के अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस से सवाल किया कि अर्थव्यवस्था में हर 5-6 साल में दोगुने आकार में परिवर्तित होने का उसका दावा यदि सही है, तो 1990 के दशक से पहले के चार दशकों में ऐसा क्यों नहीं हो पाया?

बजट दस्तावेज और आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों में असमानता : कांग्रेस

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आम बजट पर उच्च सदन में हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के संबंध में बजट दस्तावेजों और आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों में समानता नहीं है. उन्होंने कहा कि बजट में आर्थिक वृद्धि दर आठ फीसदी होने की बात की गयी है, जबकि आर्थिक सर्वेक्षण में यह सात फीसदी तय की गयी है. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह एकीकृत तस्वीर पेश करने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि बजट में ढांचागत सुधारों की बात की गयी है, लेकिन इस संबंध में कोई विस्तृत तस्वीर नहीं पेश की गयी है.

छह-सात साल में खुद-ब-खुद दोगुनी हो जाती है अर्थव्यवस्था : कांग्रेस

अर्थव्यवस्था के बढ़कर 5000 अरब डॉलर का होने के सरकार के दावे की चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था हर छह-सात साल में दोगुनी हो जाती है. इसके लिए किसी वित्त मंत्री की भी जरूरत नहीं है. चिदंबरम ने कहा कि बजट में निवेश बढ़ाने की बात की गयी है, लेकिन यह कैसे हो पायेगा, उसका ब्यौरा नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से घरेलू बचत की दर लगभग स्थिर रही है. उन्होंने सरकार द्वारा बजट में घरेलू बचत को प्रोत्साहन देने के लिए कोई उपाय नहीं करने पर चिंता जतायी.

बजट से केवल दिख रहा ट्रेलर, फिल्म नहीं : कांग्रेस

कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने बजट को दिशाहीन और असंतुलित बताते हुए बजट की तुलना उस फिल्म से की, जिसका सिर्फ ट्रेलर दिख रहा हो, पूरी फिल्म नहीं. उन्होंने कहा कि सरकार देश के विकास के जो दावे कर रही है, बजट में उन दावों की पुष्टि का कोई दृष्टिकोण भी नहीं दिखा. सिब्बल ने कहा कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश तथा घरेलू एवं बाह्य उपभोग किसी भी अर्थव्यवस्था के चार इंजन होते हैं. इनमें से तीन इंजन पूरी तरह से ध्वस्त हो गये हैं और एक इंजन ध्वस्त होने की कगार पर है.

बजट में आंकड़ों की बाजीगरी : टीएमसी

तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय ने दावा किया कि आम बजट में ‘भ्रामक और परस्पर विरोधाभासी तथ्य एवं आंकड़े’ पेश किये गये हैं. उन्होंने कहा कि रोजगार, आर्थिक विकास दर और कृषि विकास सहित विभिन्न मुद्दों पर सरकार ने आंकड़ों की बाजीगरी की है.

बिना ऊर्जावान के किसान ऊर्जादाता कैसै? : बीजद

बीजू जनता दल के प्रसन्न आचार्य ने बजट में किसानों को ‘अन्नदाता से ऊर्जादाता’ बनाने का उल्लेख करते हुए सरकार से सवाल किया कि जब तक आप देश के किसानों को ऊर्जावान नहीं बनायेंगे, तो वे ऊर्जादाता कैसे बन सकते हैं? उन्होंने सरकार से यह भी सवाल किया कि क्या देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मामले में स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को सही मायने में लागू किया जा सका है?

आचार्य ने बजट में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए समुचित प्रबंध नहीं किये जाने पर चिंता जताते हुए कहा कि जब सरकार यह दावा कर रही है कि निवेश एवं औद्योगिक उत्पादन बढ़ा है, तो देश में रोजगार के अवसर क्यों नहीं बढ़े? उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसर देश में पिछले 45 सालों में सबसे निचले स्तर पर आ गये हैं.

देश में शराबबंदी लागू हो, तो राष्ट्रपिता को सच्ची श्रद्धांजलि : जदयू

जदूय के रामचंद्र प्रसाद सिंह ने आम बजट में गांधीजी को याद करने का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यदि सरकार देश भर में शराबबंदी लागू कर दे, तो राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती पर उन्हें इससे बढ़कर कोई श्रद्धांजलि नहीं हो सकती. भाकपा सदस्य डी राजा ने आरोप लगाया कि बजट वास्तविक समस्याओं का समाधान करने में नाकाम रहा है. उन्होंने सार्वनजिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को मजबूत बनाने की जरूरत पर बल दिया. इसके साथ ही, उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विनिवेश पर जोर दे रही है. राजा ने कहा कि जीडीपी का 10 फीसदी शिक्षा पर और छह फीसदी स्वास्थ्य पर खर्च होना चाहिए.

घरेलू बचत को बढ़ावा देने के उपाय नहीं : तेलंगाना राष्ट्र समिति

तेलंगाना राष्ट्र समिति के केशव राव ने बजट में देश को 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य का जिक्र करते हुए कहा कि इसे हासिल करना देश के लिए मनोवैज्ञानिक ढंग से संतोषप्रद होगा. उन्होंने दावा किया कि बजट में घरेलू बचत को बढ़ावा देने के उपाय नहीं किये गये हैं. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष बजट को ‘सपनों का बजट’ बता रहा है, लेकिन देखने वाली बात यह है कि इन योजनाओं को पूरा करने के लिए निवेश कहां से आयेगा.

केरल की हुई है अनदेखी : सीपीएम

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलावरम करीम ने आरोप लगाया कि बजट में केरल की पूरी तरह अनदेखी की गयी है. उन्होंने कहा कि केरल में पिछले साल भीषण बाढ़ आयी थी, लेकिन इस बजट में राज्य के लिए कोई आर्थिक मदद का प्रावधान नहीं किया गया.

किसान, मध्यवर्ग और गरीबों पर बढ़ेगा बोझ : सपा

समाजवादी पार्टी के रविप्रकाश वर्मा ने बजट में किसान, मध्य वर्ग और गरीबों पर बोझ बढ़ाने वाले प्रावधान करने का सरकार पर आरोप लगाया. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र की उपेक्षा को अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक बताते हुए कहा कि गांवों को उत्पादन के साथ विपणन और विनिर्माण का केंद्र नहीं बना पाना अब तक की सभी सरकारों की नाकामी है.

आर्थिक अस्थिरता से मुक्ति दिलायेगा बजट : भाजपा

भाजपा के प्रभात झा ने बजट की विपक्षी दलों की ओर से की गयी आलोचना को तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट देश को आर्थिक अस्थिरता से मुक्ति दिलाने का माध्यम बनेगा. झा ने कहा कि वर्ष 2013-2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में 11वें स्थान पर थी, लेकिन मोदी सरकार बनने के बाद अर्थव्यवस्था छठे स्थान पर आयी है. उन्होंने कहा कि इसी तरह 2013-14 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वैश्विक हिस्सेदारी 2.1 फीसदी थी और अब 3.2 फीसदी हो गयी है. उस समय विकास दर पांच और छह फीसदी थी और 2015 में 8.6 फीसदी हो गयी और अब सात फीसदी है.

बजट पर विपक्ष के आरोपों को भाजपा ने जतायी आपत्ति

भाजपा के अश्चिनी वैष्णव ने कांग्रेस सदस्य चिदंबरम की इस राय पर आपत्ति जतायी कि अर्थव्यवस्था खुद ही पांच छह साल में दोगुनी हो जाती है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता, तो 1990 से पहले के चार दशकों में भी अर्थव्यवस्था वैसे ही बढ़ती. उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी. इसके अलावा, इस निवेश का एक खासा हिस्सा वापस कर के रूप में सरकार को प्राप्त होगा.

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