27 करोड़ की गरीबी दूर, झारखंड अव्वल
संयुक्त राष्ट्र /नयी दिल्ली : भारत में स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा समेत महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति के कारण बड़ी संख्या में लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. संयुक्त राष्ट्र का दावा है कि देश में 2006 से 2016 के बीच रिकॉर्ड 27.10 करोड़ लोग गरीबी से मुक्त हुए. गरीबी हटाने के प्रयास में सबसे अधिक सुधार […]
संयुक्त राष्ट्र /नयी दिल्ली : भारत में स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा समेत महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति के कारण बड़ी संख्या में लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. संयुक्त राष्ट्र का दावा है कि देश में 2006 से 2016 के बीच रिकॉर्ड 27.10 करोड़ लोग गरीबी से मुक्त हुए. गरीबी हटाने के प्रयास में सबसे अधिक सुधार झारखंड में देखा गया.
यहां लोगों का जीवन पहले की अपेक्षा काफी सरल हुआ है. बिहार, यूपी का प्रयास भी सराहनीय रहा. संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दस साल के दौरान देश में खाना पकाने का ईंधन, साफ-सफाई और पोषण जैसे क्षेत्रों में सुधार के लिए जबर्दस्त काम हुआ है.
इस वजह से विभिन्न स्तरों पर यानी बहुआयामी गरीबी सूचकांक मूल्य में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और आॅक्सफोर्ड पोवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (ओपीएचआइ) ने तैयार की है. वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआइ), 2019 नामक इस रिपोर्ट को गुरुवार को जारी किया गया.
101 देशों में 1.3 अरब लोगों के अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गयी है. इनमें 31 न्यूनतम आय, 68 मध्यम आय और दो उच्च आय वाले देश थे. संयुक्त रूप से करीब दो अरब आबादी के साथ 10 देशों को चिह्नित किया गया. फिर आंकड़ों से पता चला कि चुने गये दस देशों ने गरीबी को समाप्त करने का महत्वपूर्ण प्रयास किये हैं.
भारत 101 देशों में सबसे तेज, बिहार का भी उल्लेखनीय प्रयास
10 मानकों पर सुधार दर्ज
पैमाना 2005-06 2015-16
शिशु मृत्यु 4.5% 2.2%
पोषण 44.3% 21.2%
खाना बनाने का ईंधन 52.9% 26.2%
पेयजल समस्या 16.6% 6.2%
स्वच्छता 50.4% 24.6%
आवास का अभाव 44.9% 23.6%
बिजली संकट 29.1% 8.6%
संपत्तियों के मामले 37.6% 9.5%
झारखंड में 10 मानकों पर अच्छा काम
भारत में गरीबी में कमी के मामले में सर्वाधिक सुधार झारखंड में देखा गया. राज्य में विभिन्न स्तरों पर गरीबी 2005-06 में 74.9 % से कम होकर 2015-16 में 46.5 प्रतिशत पर आ गयी है. राज्य में पोषण, स्वच्छता, बच्चों की स्कूली शिक्षा, बिजली, स्कूल में उपस्थिति, आवास, खाना पकाने का ईंधन व संपत्ति जैसे मामलों में सुधार दर्ज किया गया है.
36.9 करोड़ गरीब
2005-06 में भारत की करीब 64 करोड़ लोग गरीबी में थे, संख्या घट कर 36.9 करोड़ पर आ गयी. भारत ने बहुआयामी स्तरों और निर्धारित 10 मानकों में पिछड़े लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में प्रगति की है.
10 देशों में सुधार
गरीबी हटाने के प्रयासाें में सबसे अधिक प्रगति दक्षिण एशिया में देखी गयी. भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, कंबोडिया, कांगो, इथियोपिया, हैती, नाइजीरिया, पेरू, वियतनाम में गरीबी में उल्लेखनीय कमी आयी है.