रेलवे के निजीकरण के खिलाफ 15-17 जुलाई को यूनियनों की हड़ताल, बोर्ड ने जोनों से मांगी जानकारी
नयी दिल्ली : रेलवे बोर्ड ने अपने विभिन्न जोन से रेलवे के कथित निजीकरण के खिलाफ श्रमिक संघ द्वारा अगले हफ्ते बुलायी गयी तीन दिवसीय हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारियों के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है. बोर्ड ने शुक्रवार को विभिन्न जोन को पत्र भेजकर उनसे ‘अनुशासन तथा रेलवे के सुचारू […]
नयी दिल्ली : रेलवे बोर्ड ने अपने विभिन्न जोन से रेलवे के कथित निजीकरण के खिलाफ श्रमिक संघ द्वारा अगले हफ्ते बुलायी गयी तीन दिवसीय हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारियों के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है. बोर्ड ने शुक्रवार को विभिन्न जोन को पत्र भेजकर उनसे ‘अनुशासन तथा रेलवे के सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम ‘ उठाने को कहा.
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रायबरेली की मॉडर्न कोच फैक्टरी के कर्मचारी रेलवे के कथित निजीकरण के खिलाफ पहले ही विरोध मार्च निकाल चुके हैं. शीर्ष रेलवे यूनियनों (इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन) ने धमकी दी है कि यदि निजीकरण का प्रस्ताव वापस नहीं लिया जाता है, तो वह विरोध शुरू करेंगे.
पत्र में कहा गया है कि ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने 15-17 जुलाई को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. पत्र के अनुसार, कर्मचारियों ने रेलवे निजीकरण के लिए 100 दिनों की कार्ययोजना को वापस लेने के अलावा विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की धमकी दी है. इन मांगों में किलोमीटर भत्ते की समीक्षा, गतिशील स्टाफ (ट्रेन में अपनी सेवाएं दे चुके) पेंशनधारियों के पेंशन में समतुल्यता, सुरक्षा समिति की सिफारिशों का क्रियान्वयन, रेलवे को सरकार में सेवा क्षेत्र में बनाये रखना आदि शामिल हैं.
पत्र में कहा गया कि उपरोक्त तथ्यों के आलोक में रेलवे प्रशासन अनुशासन एवं ट्रेनों की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कड़े कदम उठायेंगे. कर्मचारियों का विशेष ध्यान रेलवे अधिनियम, 1989 की धाराएं 173,174 और 175 की ओर आकृष्ट किया जाये, जो बिना अनुमति के ट्रेन को छोड़ने, ट्रेनों की आवाजाही में बाधा पहुंचाने, लोगों की सुरक्षा खतरे में डालने से संबंधित हैं.