गुरु पूर्णिमा को लेकर हैं कई पौराणिक मान्यताएं, इस साल चंद्रग्रहण की वजह से अद्भुत संयोग
आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को देशभर में गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है. हिंदू धर्म के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने सप्तऋषियों को ब्रह्मज्ञान की शिक्षा देनी प्रारंभ की थी. जबकि जैनियों का मानना है कि जैन तीर्थंकर महावीर […]
आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को देशभर में गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है. हिंदू धर्म के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने सप्तऋषियों को ब्रह्मज्ञान की शिक्षा देनी प्रारंभ की थी. जबकि जैनियों का मानना है कि जैन तीर्थंकर महावीर ने इसी दिन अपना प्रथम शिष्य बनाया था. बौद्ध धर्म के लोगों की मान्यता है कि गौतम बुद्ध ने भी अपना पहला शिष्य इसी दिन बनाया था.
महाकाव्य महाभारत के रचयिता और गुरु महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन हुआ था. इसलिए भी इस पूर्णिमा का गुरु पूर्णिमा कहते हैं. महर्षि वेदव्यास ने ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और 18 पुराण जैसे महाग्रंथों की रचना की थी. इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. कलयुग में कहा जाता है कि हमें अपने गुरुओं को महर्षि वेद व्यास का अंश मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए.
कई साल बाद अद्भुत संयोग
हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना गया है. कहा जाता है कि गुरु की है जो मनुष्य को अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है. गुरु ही मनुष्य को नर और नारायण का मर्म समझाता है. गुरु ही मानव को सद्कर्म के लिए प्रेरित करता है. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष योग बन रहे हैं. इस बार गुरु पूर्णिमा के साथ चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है.
चंद्रग्रहण और सूतक काल
मंगलवार रात को इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगने वाला है. यह चंद्रग्रहण पूरे तीन घंटे लंबा होगा. ग्रहण का सूतक काल मंगलवार को तीसरे पहर शाम 4.31 बजे लग जायेगा. ग्रहण का समापन बुधवार की तड़के सुबह 4.30 बजे तक होगा. यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा जिसे अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा जा सकेगा.
ग्रहणकाल रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू होकर चार बजकर 30 मिनट तक रहेगा. ऐसा 149 साल बाद होने जा रहा है जब गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा. यह रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा जब धरती की छाया चंद्रमा के आधे से ज्यादा हिस्से को ढक लेगी. यह पूर्ण चंद्रग्रहण नहीं है. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में यह चंद्र ग्रहण लग रहा है. यह खंडग्रास चंद्रग्रहण होगा.
गुरू पूर्णिमा और कर्क संक्रांति होने के साथ-साथ 16 जुलाई (मंगलवार) को खंडग्रास चंद्रग्रहण भी है जिस कारण यह संयोग बेहद खास माना जा रहा है. गुरु पूर्णिमा और चंद्रग्रहण एक साथ होने की वजह से गुरु पूजा भी सूतक लगने से पहले कर लेना ठीक होगा.