लोकसभा में ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिकारों की सुरक्षा विधेयक 2019 पेश

नयी दिल्ली : ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा में लाने और उनके विभिन्न अधिकारों की रक्षा के मकसद से सरकार ने लोकसभा में शुक्रवार को एक विधेयक पेश किया. इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए एक कार्य प्रणाली उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है. निचले सदन में सामाजिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2019 4:31 PM

नयी दिल्ली : ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा में लाने और उनके विभिन्न अधिकारों की रक्षा के मकसद से सरकार ने लोकसभा में शुक्रवार को एक विधेयक पेश किया. इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए एक कार्य प्रणाली उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है.

निचले सदन में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक 2019 विधेयक पेश किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 जुलाई को ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक 2019 को मंजूरी दी थी. इस विधेयक को लाने के पीछे सरकार का मानना है कि इससे हाशिए पर खड़े इस वर्ग के विरुद्ध लांछन, भेदभाव और दुर्व्यवहार कम होने के साथ इन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने से अनेक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लाभ पहुंचेगा.

इससे समग्रता को बढ़ावा मिलेगा और ट्रांसजेंडर व्यक्ति समाज के उपयोगी सदस्य बन जायेंगे. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि ट्रांसजेंडर एक ऐसा समुदाय है जो सर्वाधिक हाशिये पर है क्योंकि वे ‘पुरुष’ या ‘स्त्री’ के लिंग के सामान्य प्रवर्गों में फिट नहीं होते हैं. ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक बहिष्कार से लेकर भेदभाव, शिक्षा सुविधाओं की कमी, बेरोजगारी, चिकित्सा सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ के मामले में 15 अप्रैल 2014 को अपने आदेश में अन्य बातों के साथ केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को उभयलिंगी समुदाय के कल्याण के लिए विभिन्न कदम उठाने का और संविधान के अधीन एवं संसद तथा राज्य विधान मंडलों द्वारा बनायी गई विधियों के अधीन उनके अधिकारों की सुरक्षा के प्रयोजन के रूप में उन्हें तृतीय लिंग के रूप में मानने का निर्देश दिया.

विधेयक में ट्रांसजेंडर व्यक्ति को परिभाषित करने, ट्रांसजेंडर व्यक्ति के विरुद्ध विभेद का निषेध करने तथा ट्रांसजेंडर व्यक्ति को उसी के रूप में मान्यता देने का अधिकार देने का प्रस्ताव किया गया है. इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान प्रमाणपत्र जारी करने के साथ जोर दिया गया है कि नियोजन, भर्ती, प्रोन्नति और अन्य संबंधित मुद्दों से संबंधित विषयों में किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति के विरुद्ध विभेद नहीं करेगा. प्रत्येक स्थापना में शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने तथा ट्रांसजेंडर व्यक्ति परिषद स्थापित करने एवं उपबंधों का उल्लंघन करने पर दंड देने का भी प्रावधान किया गया है.

Next Article

Exit mobile version