ऑपरेशन विजय: जम्मू कश्मीर पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कारगिल के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
नयी दिल्ली: देश कारगिल युद्ध में विजय की बीसवीं वर्षगांठ मना रहा है. आपरेशन विजय के नाम से जाना जाने वाला कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में लड़ा गया था. इस समय भारत के प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी बाजपेयी थे तो वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ. कारगिल युद्ध को दुनिया […]
नयी दिल्ली: देश कारगिल युद्ध में विजय की बीसवीं वर्षगांठ मना रहा है. आपरेशन विजय के नाम से जाना जाने वाला कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में लड़ा गया था. इस समय भारत के प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी बाजपेयी थे तो वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ. कारगिल युद्ध को दुनिया पाकिस्तान, विशेषकर पाकिस्तान के तात्कलीन सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ के विश्वासघात के तौर पर जानती है.
ऑपरेशन विजय की बीसवीं वर्षगांठ के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं. उन्होंने द्रास में कारगिल वॉर मेमोरियल पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धाजंलि अर्पित की. इस दौरान थलसेना अध्यक्ष जनरल विपिन रावत भी मौजूद रहे. इससे पहले दिल्ली में राजनाथ सिंह ने इंडिया गेट स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पहुंचकर अनंत ज्योति से विजय मशाल को प्रज्वलित किया जो देश के कई हिस्सों से होता हुआ कारगिल के द्रास तक पहुंचेगा.
Jammu & Kashmir: Union Defence Minister Rajnath Singh paid tribute at Kargil War Memorial in Drass, earlier today. Army Chief General Bipin Rawat was also present with him. pic.twitter.com/fhc0b4Egyt
— ANI (@ANI) July 20, 2019
इससे पहले कारगिल युद्ध के नायकों को समर्पित कारगिल विजय ज्योति मशाल मनाली पहुंची. सेना के जवानों ने इस दौरान शहीदों को श्रद्धाजंलि अर्पित की. बता दें कि विजय ज्योति मशाल रोहतांग ला, बारालाचा ला, नकी ला, लाचुलुंग ला, और तांगलांग ला होते हुये 26 जुलाई को कारगिल पहुंचेगी.
Himachal Pradesh: Kargil Vijay Jyoti torch, a tribute to Kargil war heroes, reaches Manali town. It will reach Kargil on July 26 after crossing through Rohtang la Baralacha la, Naki la, Lachulung la & Tanglang la. pic.twitter.com/4uK1uLylWK
— ANI (@ANI) July 20, 2019
युवा अधिकारियों ने दी थी शहादत
गौरतलब है कि आज से ठीक 20 साल पहले वर्ष 1999 में भारत के मैत्री प्रयासों को धता बताते हुये कबाईलियों के साथ मिलकर पाकिस्तान की सेना ने घाटी में पहाड़ियों पर बने भारतीय बंकरों पर कब्जा जमा लिया था. एक लंबे युद्ध के बाद भारतीय थल सेना ने वायुसेना की सहायता से तमाम चोटियों को दोबारा हासिल कर लिया था. हालांकि इस युद्ध में भारत को कैप्टन बिक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज पांडेय, कैप्टन अनुुज नायर, योगेंद्र सिंह यादव जैसे युवा अधिकारियों सहित सैकड़ों जवानों को खोना पड़ा था.