अहमदाबाद : आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने शनिवार को बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट से मुलाकात की. संजीव भट्ट को पिछले महीने 29 साल पुराने हिरासत में हुई मौत के एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी. भट्ट को 2011 में भारतीय पुलिस सेवा से निलंबित कर दिया गया था और सेवा के दौरान ‘अनधिकृत रूप से अनुपस्थिति’ के लिए अगस्त 2015 में गृह मंत्रालय ने बर्खास्त कर दिया था.
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श्वेता भट्ट से यहां उनके आवास पर मुलाकात के बाद संजय सिंह ने पत्रकारों से कहा कि संजीव भट्ट के मामले में गुजरात के लोग और संवेदनशील लोग मानते हैं कि उनके साथ जो कुछ भी हुआ, वह सही नहीं है. उन्हें 30 साल पुराने मामले में उम्रकैद की सजा सुनायी गयी है, जो पूरी व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है.
सिंह ने दावा किया कि उस मामले में असल में व्यक्ति की मौत एक अस्पताल में हुई थी. ऐसे भी उसे जमानत मिलने के 18 दिन बाद मौत हुई थी. इस तरह के एक पुराने मामले को सामने लाना और एक आईपीएस अधिकारी को उम्रकैद की सजा देना गलत और अनुचित है.
तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भट्ट ने 30 अक्टूबर, 1990 को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गयी ‘रथयात्रा’ को रोके जाने के खिलाफ भारत बंद के आह्वान के बाद जामजोधपुर शहर में एक सांप्रदायिक दंगे के बाद लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था.
गिरफ्तार किये गये लोगों में से एक प्रभुदास वैष्णानी की रिहाई के बाद एक अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी. वैष्णानी के भाई ने बाद में भट्ट और छह अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी, जिसमें उसने उन पर हिरासत में प्रताड़ित करके उनके भाई की हत्या करने का आरोप लगाया था. जामनगर की एक अदालत ने 20 जून, 2019 को भट्ट को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनायी.