नयी दिल्ली : पुलिस विभाग में अब काला जादू का असर पड़ने लगा है! दरअसल एक खुलासे में पता चला है कि पुणे पुलिस ने नरेंद्र दाभोलकर मामले में जांच करने के लिए काला जादू का सहारा लिया था. बताते चलें कि अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने वाले नरेंद्र दाभोलकर की कुछ दिनों पहले हत्या की गयी थी.पता चला है किदाभोलकर हत्या कांड में पुलिस ने हत्यारे का पता लगाने के लिए काला जादू का इस्तेमाल कर रही थी.
खोजी पत्रकार आशीष खेतान ने इस मामले में एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में पुणे पुलिस का पूर्व कांस्टेबल मनीष ठाकुर चंद पलों में दाभोलकर में बदल जाता है और मामले को बताने लगता है. इस वीडियो में काले जादू के लिए मशहूर पुणे पुलिस का पूर्व कांस्टेबल मनीष ठाकुर दाभोलकर की आत्मा को बुलाने का दावा करते नजर आ रहे हैं.
इधर इस मामले को पूर्व कांस्टेबल ने गलत बता कर एक पत्रिका पर 100 करोड़ का मानहानि का दावा ठोंका है. यह दावा ठोंकते ही पत्रिका ने एक न्यूज चैनल की मदद से स्टिंग ऑपरेशन जारी किया है.
* हत्या की जांच में पुलिस ने ली थी तांत्रिकों की मदद
अंधविश्वास और धर्म की आड़ में धंधा चलाने वाले लोगों के खिलाफ सारी जिंदगी लड़ाई लड़ने वाले नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के जांच में पुलिस पर तांत्रिकों की ममद लेने का आरोप लगता रहा है. 67 वर्षीय दाभोलकर की मौत के मामले की जांच में कुछ अहम खुलासे सामने आये थे. बताया जा रहा था कि तत्कालीन पुलिस आयुक्त गुलाबराव पोल ने मामले की जांच में कथित रूप से कुछ बाबाओं और तांत्रिकों की सेवा ली थी और इनका इस्तमाल ‘आत्माओं से संपर्क’ साधने में किया.
* क्या है मामला
नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 में किसी ने गोली मारकर हत्या कर दी है. वह सुबह टहलने के लिए निकले थे, तभी ओंकारेश्वर पुल के पास किसी ने उन्हें गोली मार दी. नरेंद्र दाभोलकर अंधविश्वास के खिलाफ लड़ते रहे थे और वह चाहते थे कि महाराष्ट्र विधानसभा में अंधविश्वास के खिलाफ कानून आए.
* कौन थे नरेंद्र दाभोलकर
नरेन्द्र अच्युत दाभोलकर एक भारतीय तर्कवादी और महाराष्ट्र के लेखक थे. वो महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (MANS),एक अंधविश्वास उन्मूलन के लिए गठित एक संगठन,के संस्थापक एवं अध्यक्ष थे. दाभोलकर को 2014 में मरणोपरांत पद्मश्री से सम्मानित किया गया. दाभोलकर ने काला जादू के खिलाफ जंग छेड़ रखा था. उन्होंने इसके खिलाफ कानून बनाने की मांग की थी. लेकिन उनके इस मांग के विरोध में भाजपा,शिवसेना जैसे राजनीतिक पार्टियों किया था.
राजनीतिक पार्टियों का मानना था कि कानून से हिंदू रीति रिवाजों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. सुबह घुमने के दौरान 20 अगस्त 2013 को दाभोलकर की हत्या कर दी गयी. सूत्रों के अनुसार उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस से मदद मांगी थी,लेकिन पुलिस ने उन्हें पुलिस सुरक्षा नहीं दी थी.