कर्नाटक संकट : नहीं हो सका फ्लोर टेस्ट, स्पीकर ने बागी विधायकों को जारी किया नोटिस
बेंगलुरु : कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा में तीसरे दिन सोमवार को भी चर्चा पूरी नहीं हो सकी. सदन में भारी हंगामे और आरोप-प्रत्यारोप के बाद रात 10 बजे कर्नाटक विधानसभा से बाहर आकर कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने बताया कि स्पीकर ने बागी विधायकों को नोटिस जारी कर […]
बेंगलुरु : कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा में तीसरे दिन सोमवार को भी चर्चा पूरी नहीं हो सकी. सदन में भारी हंगामे और आरोप-प्रत्यारोप के बाद रात 10 बजे कर्नाटक विधानसभा से बाहर आकर कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने बताया कि स्पीकर ने बागी विधायकों को नोटिस जारी कर मंगलवार सुबह 11 बजे तक का समय दिया है.
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रही है कि उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जायेगा और उन्हें मंत्री बनाया जायेगा. भारत के संविधान के अनुसार, अयोग्य घोषित किये जाने के बाद आपको सदस्य नहीं बनाया जा सकता. उधर, कांग्रेस का कहना है कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर अध्यक्ष का फैसला आने तक विश्वास प्रस्ताव पर मतविभाजन न कराया जाये. इसके अलावा स्पीकर ने 14 बागी विधायकों को कारण बताओ नोटिस देकर जवाब मांगा है कि विधानसभा से उनकी सदस्यता क्यों न रद्द कर दी जाये. इस बीच, मुख्यमंत्री कुमारास्वामी ने आरोप लगाया कि मेरे फर्जी हस्ताक्षर वाला एक जाली पत्र प्रसारित किया जा रहा है कि मैंने इस्तीफा दे दियाहै. कुमारास्वामी ने बागी विधायकों से वापस लौटने और सदन में चर्चा के दौरान भाजपा को बेनकाब करने की अपील की. हालांकि, बागी विधायकों ने सत्र में हिस्सा लेने की संभावना को खारिज किया है.
इससे पहले विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के समय से ही अध्यक्ष केआर रमेश ने सरकार को बार-बार शक्ति परीक्षण की प्रक्रिया सोमवार को पूरी करने के अपने वादे का सम्मान करने की याद दिलायी. एक घंटे की देरी से सदन की कार्यवाही शुरू होने पर अध्यक्ष ने कहा, सबकी नजर हम पर है. मुझे बलि का बकरा ना बनायें. अपने लक्ष्य (शक्ति परीक्षण की प्रक्रिया पूरी करने) तक पहुंचें. कुमारास्वामी ने पिछले सप्ताह बृहस्पतिवार को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव रखा था. सत्तारूढ़ कांग्रेस-जदएस गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफे और दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के कारण सरकार का भविष्य अधर में है. राज्यपाल वजुभाई वाला ने पहले शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे तक और बाद में दिन की समाप्ति तक विश्वास प्रस्ताव पर प्रक्रिया पूरी करने को कहा था. शुक्रवार को प्रक्रिया पूरी नहीं होने के बाद अध्यक्ष ने सरकार से यह वादा लिया था कि वह इसे सोमवार को अवश्य पूरा करेगी. इसके बाद सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गयी. अध्यक्ष ने विश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया में और देरी नहीं करने पर अपना रुख स्पष्ट किया, इससे मेरा या सदन का अपमान होगा. ऐसी खबरें है कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने मत-विभाजन के लिए और दो दिन का वक्त मांगा है.
ध्यक्ष ने कहा, हम सार्वजनिक जीवन में हैं. जनता हमें देख रही है. अगर लोगों में यह विचार बन रहा है कि चर्चा के नाम पर हम समय बर्बाद कर रहे हैं तो यह मेरे या किसी के लिए भी सही नहीं होगा. कर्नाटक सरकार के वरिष्ठ मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा ने विश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान कहा कि इस्तीफे के मुद्दे पर अध्यक्ष के निर्णय के बगैर मत-विभाजन कराने से विश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया की कोई गरिमा नहीं रहेगी. विश्वास प्रस्ताव पर बहस के तीसरे दिन भी जारी रहने के दौरान उन्होंने कहा, हम असाधारण स्थिति में आ गये हैं. मैं अध्यक्ष से पहले इस्तीफों पर निर्णय लेने का अनुरोध करता हूं. अन्यथा इसका (विश्वास प्रस्ताव का) कोई मतलब नहीं रह जायेगा. उन्होंने सवाल किया, क्या इस्तीफा स्वेच्छा से दिया गया और असली वजह क्या है? क्या वे लोकतंत्र के विरूद्ध नहीं हैं?
केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर प्रहार करते हुए गौड़ा ने कहा कि देश से राजनीतिक विपक्ष का सफाया करने के लिए सुनियोजित तरीके से प्रयास चल रहा है और भाजपा द्वारा कर्नाटक में अभियान उसी प्रयास का हिस्सा है. उन्होंने बागी विधायकों से अपने रुख पर पुनर्विचार करने की भी अपील की. भाजपा को संदेह है कि कांग्रेस जदएस सरकार बागी विधायकों को अपने पाले में करने के लिए विश्वास प्रस्ताव पर मत-विभाजन में देरी कर रही है. इन्हीं विधायकों के इस्तीफे की वजह से सरकार गिरने की कगार पर पहुंच गयी है. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को दो पत्र लिखे थे और शुक्रवार तक विश्वास मत पर मत-विभाजन पूरा करने को कहा था. उन्होंने आशंका प्रकट की थी कि देरी से विधायकों की खरीद-फरोख्त की गुजाइंश पैदा होती है. उन्होंने यह भी कहा था कि प्रथम दृष्टया उन्हें स्पष्ट हो चुका है कि सरकार विधानसभा का विश्वास खो चुकी है.
वरिष्ठ भाजपा नेता जगदीश शेट्टार और मधुस्वामी ने अध्यक्ष से कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर प्रक्रिया सोमवार को पूरी कर ली जानी चाहिए और बहस अंतहीन नहीं खींची जानी चाहिए. अध्यक्ष ने यह भी कहा कि विधायक दल के नेता को व्हिप जारी करने का अधिकार है. अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायी दल के नेता सिद्धरमैया से कहा, व्हिप जारी करना आपका अधिकार है. उसका पालन करना विधायकों पर है. यदि मेरे पास कोई शिकायत आती है तो मैं नियमों का पालन करते हुए फैसला लूंगा. सिद्धरमैया ने व्हिप जारी करने को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा पिछले हफ्ते दिये गये आदेश के संबंध में एक सवाल उठाया था. इस बीच, सरकार पर दबाव डालते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री से कहा कि अगर उन्हें संविधान और राज्य की जनता में विश्वास है तो वह ‘इस्तीफा दें और घर जायें.’
भाजपा ने कहा कि कुमारास्वामी स्वयं विश्वास प्रस्ताव लेकर आये हैं, लेकिन उसकी प्रक्रिया पूरी करने में देरी कर रहे हैं. पार्टी ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है, अगर आपको संविधान और राज्य की जनता में जरा सा भी विश्वास और उनके लिए सम्मान है तो आप इस्तीफा दें और घर जायें. भाजपा ने कन्नड़ भाषा में हैशटैग चलाया है ‘राज्य की जनता आपको माफ नहीं करेगी.’ विधानसभा अध्यक्ष के अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 117 विधायक हैं जिनमें कांग्रेस के 78, जदएस के 37, बसपा के एक और एक नामित हैं. दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलने के साथ विपक्षी भाजपा के पास 225 सदस्यीय विधानसभा में 107 विधायक हैं. यदि 15 विधायकों (कांग्रेस के 12 और जदएस के 3) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है या वे मत-विभाजन से दूर रहते हैं तो सत्तारूढ़ गठबंधन के पास संख्याबल 101 रह जायेगा और सरकार अल्पमत में आ जायेगी.