कैलाशविदू सिवन : मिशन चंद्रयान-2 के हीरो जिन्हें दुनिया ”रॉकेट मैन” के नाम से जानती है, देखें VIDEO
नयी दिल्ली: 22 जुलाई. सोमवार का दिन. वक्त हो रहा था 2 बजकर 43 मिनट. भारत अंतरिक्ष अभियान के तहत कुछ बहुत बड़ा करने जा रहा था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद् के चेयममैन के सिवन ने लोगों को लांचिग स्थल के पास दर्शक दीर्घा में इकट्ठा होने को कहा. थोड़ी ही देर में भारत की […]
नयी दिल्ली: 22 जुलाई. सोमवार का दिन. वक्त हो रहा था 2 बजकर 43 मिनट. भारत अंतरिक्ष अभियान के तहत कुछ बहुत बड़ा करने जा रहा था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद् के चेयममैन के सिवन ने लोगों को लांचिग स्थल के पास दर्शक दीर्घा में इकट्ठा होने को कहा. थोड़ी ही देर में भारत की महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-2 ने चांद की ओर जाने के लिए लांच पैड से उड़ान भरी.
जैसे ही चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हुआ के सिवन मीडिया के सामने आये. उन्होंने यान के सफल प्रक्षेपण की घोषणा की और सबसे पहले उन लोगों का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने अपने वक्त, परिवार, निजी जिंदगी और स्वास्थ्य की परवाह किये बिना इस मिशन के लिए दिन-रात एक कर दिया. भारत अंतरिक्ष अभियान की दिशा में एक और मील का पत्थर साबित कर चुका था.
किसान माता-पिता के यहां पैदा हुए के सिवन
के सिवन. कैलाशविदू सिवन. तमिलनाडू के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं. इस समय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद् के चेयरमैन हैं. इनका जन्म 14 अप्रैल साल 1957 में तमिलनाडू के कन्याकुमारी जिला स्थित नागरकोइल के पास हुआ था. किसान माता-पिता के बेटे के सिवन की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही माध्यमिक स्कूल से तमिल माध्यम में हुई..
साल 1980 में इन्होंने एमआईटी मद्रास से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. अपने परिवार से स्नातक तक की शिक्षा हासिल करने वाले सिवन पहले शख्स थे.
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एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में हासिल की डिग्री
साल 1982 में इन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री हासिल की और इसी साल इसरो के साथ जुड़ गये. इसरो में अपने आरंभिक दिनों में ही के सिवन ने भारतीय अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत लांच व्हीकल पीएसएलवी के निर्माण और विकास के अभियान में अहम योगदान दिया. इसके बाद उन्होंने जीएसएलवी, जीएसएलवी मार्क3, आरएलवी-टीडी जैसे प्रोजेक्ट के जरिये अपनी उपयोगिता साबित कर दी. अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में क्रायोनिक इंजन के लिए इन्हें ‘रॉकेट मैन’ के नाम से जाना जाता है.
साल 2006 में के सिवन ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएडी की डिग्री हासिल की.
जनवरी 2018 में बने इसरो के निदेशक
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उनकी योग्यता को देखकर उन्हें विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर का निदेशक बनाया गया. फरवरी 2017 में एक ही मिशन के अंतर्गत 104 अलग-अलग देशों का उपग्रह प्रक्षेपित करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है. जनवरी 2018 में के सिवन को इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन का चेयरमैन बनाया गया. तभी से वो चंद्रयान 2 मिशन पर लगे हुये थे. कल 22 जुलाई को इनके नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा दिया.
भारतीय अंतरिक्ष अभियान मेंके सिवन के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुये उन्हें विक्रम साराभाई रिसर्च अवार्ड, इसरो मेरिट अवार्ड, डॉ बीरेन रॉय स्पेस साइंस अवार्ड सहित कई अन्य सम्मानों से नवाजा जा चुका है.