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क्या मोदी सरकार शिवसेना सांसदों के खिलाफ करेगी कार्रवाई?

महाराष्ट्र सदन के कैंटीन में कथित रूप से एक कैटरिंग स्टॉफ अरशद के साथ बदसलूकी करने का मामला सामने आया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार कैंटीन में मराठी खाना उपलब्ध नहीं होने पर नाराज 11 शिवसेना सांसदों ने आईआरसीटीसी के सुपरवाइजर अरशद को रोजे के दौरान जबरदस्ती रोटी खिलाई. हालांकि शिवसेना के सांसद इन आरोपों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2014 1:50 PM

महाराष्ट्र सदन के कैंटीन में कथित रूप से एक कैटरिंग स्टॉफ अरशद के साथ बदसलूकी करने का मामला सामने आया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार कैंटीन में मराठी खाना उपलब्ध नहीं होने पर नाराज 11 शिवसेना सांसदों ने आईआरसीटीसी के सुपरवाइजर अरशद को रोजे के दौरान जबरदस्ती रोटी खिलाई. हालांकि शिवसेना के सांसद इन आरोपों से इनकार कर रहे हैं, इस संबंध में महाराष्ट्र रेसीडेंट कमीशनर से शिकायत की गयी और उन्होंने तुरंत इस मामले को लेकर माफी मांगी.

शिवसेना ने जबरन रोटी खिलाने की बात को गलत बताया,कहा,रमजान का सम्‍मान करते हैं

लेकिन आज इस मामले के प्रकाश में आने के बाद आज संसद के दोनों सदनों में खूब हंगामा हुआ. कांग्रेस ने सदन में यह मामला उठाया, जिसके बाद सदन में खूब हंगामा हुआ, यहां तक की सदन की कार्यवाही तक स्थगित करनी पड़ी. यद्यपि शिवसेना सांसद शुरुआत में आरोपों को खारिज करते रहे, लेकिन एक वीडियो फुटेज सामने आने के बाद उन्होंने यह कहना शुरू किया है कि उनकी मंशा बिलकुल भी किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था. वे रमजान का सम्मान करते हैं.

अतिवादी मानसिकता की पोषक है शिवसेना

अपने गठन के समय से ही शिवसेना एक अतिवादी और संकुचित विचारधाराओं की पार्टी रही है. 19 जून 1966 में बाला साहेब ठाकरे ने इस पार्टी की स्थापना की थी. यह पार्टी प्रो-मराठी विचारधारा से प्रभावित है और उग्र हिंदूवाद की समर्थक रही है. पार्टी के कार्यकर्ता जिन्हें शिव सैनिक कहा जाता है, अक्सर ऐसे मामलों में संलिप्त पाये गये हैं, जिससे अन्य धर्मों के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है. कई लोग तो इन्हें हिंदू आतंकी की संज्ञा देने से भी गुरेज नहीं करते हैं. शिवसेना का संबंध 1970 और 1984 के भिवंडी सांप्रदायिक दंगों और 1992-193 में हुए मुंबई दंगे से भी बताया जाता है.

बाला साहेब के बाद उद्धव ठाकरे के हाथों में है पार्टी की कमान

प्रो-मराठी और हिंदूवादी नेता माने जाने वाले बाला साहेब ठाकरे की मौत के बाद शिवसेना की कमान उनके पुत्र उद्धव ठाकरे के हाथों में है. लेकिन पार्टी के सोच में कोई बदलाव नहीं आया है. उद्धव ठाकरे अपने पिता की विरासत को ही आगे बढ़ा रहे हैं. वे अपने बयानों से ऐसे संकेत देते रहे हैं.

क्या मोदी सरकार अपने पुराने साथी शिवसेना के खिलाफ करेगी कार्रवाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार गठन के बाद आवाम को यह भरोसा दिलाया है कि उनके जानमाल की रक्षा की जायेगी. ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि क्या नरेंद्र मोदी शिवसेना के उन सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जिन्होंने एक व्यक्ति की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई और उसके साथ दुर्व्यवहार किया. विपक्षी यह मांग कर रहे हैं कि शिवसेना सांसदों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाये और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये, लेकिन अभी तक इस मामले में सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है. हालांकि भाजपा के एक सांसद गोपाल शेट्टी ने घटना की निंदा की है और यह आग्रह किया है कि घटना को तूल न दिया जाये.

माननीयों का यह कैसा आचरण

अगर इस बात को दरकिनार भी कर दिया जाये कि शिवसेना के सांसद यह नहीं जानते थे कि कैंटरिंग स्टॉफ रोजे में है, फिर भी वीडियो फुटेज में वे जिस तरह की हरकत करते दिख रहे हैं, उसे मानवीय आधारों पर किस कदर सही ठहराया जा सकता है. यह संभव है कि भोजन में कुछ कमी रह गयी हो, लेकिन इतनी सी बात पर इतना बड़ा बवेला खड़ा करना कि एक आदमी के साथ अमानवीय व्यवहार हो और इस कदर का आचरण करने वाले सांसद हों, तो यह घटना हमारे देश और समाज के लिए खतरे की घंटी है.

अल्पसंख्यकों में बढ़ेगी असुरक्षा की भावना

नरेंद्र मोदी सरकार को अल्पसंख्यक अविश्वास की नजरों से देखते हैं. ऐसे में अगर उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचायी जायेगी, तो उनमें असुरक्षा की भावना का बढ़ना स्वाभाविक है. इस बात को शायद मोदीजी समझेंगे.

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