कर्नाटकः बीएस येदियुरप्पा के पास मुख्यमंत्री बनने का है आखिरी अवसर, राह में कई मुश्किलें
दक्षिण भारत के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले राज्य कर्नाटक में आखिरकार सियासी संग्राम थम गया. कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार मंगलवार शाम को गिर गयी. इसी के साथ कांग्रेस के कब्जे से एक और राज्य निकल गया. इसके साथ ही राज्य में कमल खिलने का रास्ता भी साफ हो गया है. सब कुछ ठीक रहा […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
July 24, 2019 12:15 PM
दक्षिण भारत के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले राज्य कर्नाटक में आखिरकार सियासी संग्राम थम गया. कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार मंगलवार शाम को गिर गयी. इसी के साथ कांग्रेस के कब्जे से एक और राज्य निकल गया. इसके साथ ही राज्य में कमल खिलने का रास्ता भी साफ हो गया है. सब कुछ ठीक रहा तो बीएस येदियुरप्पा जल्द ही कर्नाटक के सीएम पद की शपथ लेंगे. हालांकि अभी ऐसी कोई पुष्टि नहीं हुई है.
आज भाजपा ने विधायक दल की बैठक बुलायी. प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं. इसके लिए उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखा है. हालांकि माना जा रहा है कि सीएम पद की कुर्सी उनके लिए कांटों का ताज साबित होने जा रही है. एक अलग चर्चा ये भी है कि क्या भाजपा के नियमों के मुताबिक, येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन पाएंगे?
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा 76 साल के हो चुके हैं. हालांकि गत वर्ष 25 मई 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी मगर बाद में सरकार गिर गयी. भाजपा ने इस बार लोकसभा चुनाव में मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित कई औऱ लोगों को उम्र अधिक होने के कारण टिकट नहीं दिया था.
येदियुरप्पा जानते हैं कि इस तरह से उनके पास राज्य की कमान संभालने का आखिरी अवसर है. यदि वह जल्द मुख्यमंत्री बन गए तो ठीक, वरना अधिक उम्र के कारण उन्हें यह अवसर मिलने से वंचित होना पड़ सकता है.
सीएम पद मतलब कांटों का ताज
राजनीतिक पंडितों के मुताबिक कर्नाटक में येदियुरप्पा भले ही सत्ता में आ जाएं लेकिन मुख्यमंत्री पद की कुर्सी उनके लिए कांटों का ताज होने जा रही है. मुख्यमंत्री के लिए कई चुनौतियां मुहं खोले खड़ी है.
कर्नाटक में बीजेपी सरकार बनाएगी या नहीं, अब यह बहुत कुछ केंद्रीय नेतृत्व के आकलन पर निर्भर करेगा. बीजेपी क्या अल्पावधि के फायदे के लिए अवसरवादी विधायकों का समर्थन लेकर सरकार बनाएगी या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा. बीजेपी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर दोबारा चुनाव कराए जाने के विकल्प को भी अपना सकती है.
वहीं दूसरी ओर यह भी दिलचस्प है कि अगर बागी विधायकों की सदस्यता रद्द होती है तो फिर उपचुनाव होगा. उपचुनाव में अगर कांग्रेस-जदएस की जात होती है तो फिर से राज्य में बहुमत के आंकड़े लिए सियासी संग्राम छिड़ना तय है.
इसके अलावा अगर सद्स्यता रद्द नहीं होती है तो क्या बागी विधायक मंत्री बनेंगे. इस बदलाव के बीच अगर बागी विधायक चुनाव नहीं जीत पाए और दोबारा पाला बदलने पर विचार करने लगे तब, राज्य में अस्थिरता का एक और दौर शुरू हो जाएगा. येदियुरप्पा के समक्ष बागियों को एकजुट रखना बड़ी चुनौती होगा. इसके अलावा बीजेपी के अंदर मंत्री न बनाए जाने पर कई विधायक नाराज हो सकते हैं.
कौन हैंबीएस येदियुरप्पा
बीएस येदियुरप्पा राजनीति में आने से पहले चावल मिल में क्लर्क थे. प्रदेश के मांड्या जिले के बुकानाकेरे में सिद्धलिंगप्पा और पुत्तथयम्मा के घर 27 फरवरी 1943 को जन्मे येदियुरप्पा ने चार साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया था. 1972 में उन्हें शिकारीपुरा तालुका जनसंघ का अध्यक्ष चुना गया और उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. 1977 में जनता पार्टी के सचिव पद पर काबिज होने के साथ राजनीति में उनका कद और बढ़ गया. और फिर साल 2008 में उन्होंने दक्षिण में कमल खिला दिया.
उनके नेतृत्व में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में ज़बरदस्त जीत हासिल की. और येदियुरप्पा सीएम की कुर्सी पर बैठे. अवैध खनन पर लोकायुक्त की रिपोर्ट में दोषी करार दिये जाने के बाद तकरीबन 3 साल बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था.
हमेशा सफेद सफारी सूट में नजर आने वाले येदियुरप्पा नवम्बर 2007 में जनता दल (एस) के साथ गठबंधन सरकार गिरने से पहले भी कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री रहे थे.सीएम पद से हटे तो भाजपा से अलग हो गए. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने के बाद जनवरी 2013 में पार्टी में दोबारा उनकी वापसी हुई. इतना ही नहीं 2018 में भाजपा ने दोबारा येदियुरप्पा पर ही दांव खेला और उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार बनाया.
एक के बाद एक संकटों से उबरकर येदियुरप्पा ने खुद को पार्टी के अंदर राजनीतिक धुरंधर के रूप में साबित किया है. बीएस येदियुरप्पा एक ऐसा नाम, जो भाजपा की राज्य इकाई के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते हैं.