मप्र में भाजपा को झटका – मत विभाजन के दौरान दो विधायकों ने किया कमलनाथ सरकार का समर्थन
भोपाल : भाजपा को बुधवार को उस वक्त करारा झटका लगा जब मध्य प्रदेश विधानसभा में एक विधेयक पर मत विभाजन के दौरान उसके दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने अपना समर्थन मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत सरकार को दे दिया. ये दोनों विधायक पूर्व में कांग्रेसी नेता रहे हैं और […]
भोपाल : भाजपा को बुधवार को उस वक्त करारा झटका लगा जब मध्य प्रदेश विधानसभा में एक विधेयक पर मत विभाजन के दौरान उसके दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने अपना समर्थन मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत सरकार को दे दिया.
ये दोनों विधायक पूर्व में कांग्रेसी नेता रहे हैं और पिछले साल मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे. भाजपा के इन दोनों विधायकों ने कहा कि यह उनकी घर वापसी है. बुधवार शाम विधानसभा में दंड विधि (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक 2019 पर मत विभाजन के दौरान कुल 122 विधायकों ने सत्तारूढ़ कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया. प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं. इसमें सत्तारुढ़ कांग्रेस के पास अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति सहित 121 विधायकों का समर्थन है. अध्यक्ष ने आज इस प्रक्रिया में वोट नहीं दिया. कांग्रेस और सहयोगी दलों के 120 विधायकों ने मतदान में भाग लिया. इनके अलावा, भाजपा के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने भी विधेयक का समर्थन किया. इस प्रकार विधेयक के समर्थन में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने 122 विधायकों का समर्थन हासिल किया.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश विधानसभा में सत्तारुढ़ दल को बहुमत के लिए 116 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है. बाद में पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी (मैहर सीट, जिला सतना) और शरद कोल (ब्यौहारी सीट, जिला शहडोल) ने कहा कि उन्होंने कमलनाथ सरकार को समर्थन दिया है क्योंकि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों का विकास करना चाहते हैं. पूर्व में कांग्रेस नेता रहे इन दोनों भाजपा विधायकों ने कहा कि यह उनकी घर वापसी है. इसी बीच, भाजपा के वरिष्ठ विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मीडिया को बताया कि विधेयक पर जब हमारी (भाजपा की) सहमति थी तो कांग्रेस को इस पर मत विभाजन करवाने की आवश्यकता ही नहीं थी.