23 साल बाद बम कांड में साबित हुआ बेगुनाह, घर पहुंचकर मिली मां-बाप के मौत की खबर, कब्र पर फूट-फूटकर रोया भट्ट
श्रीनगर : मोहम्मद अली भट्ट यह वह नाम है जो अपनी बेगुनाही साबित कर चुका है. उसने 23 साल जेल की सलाखों के पीछे बिताए और अपने घर लौटा. दुर्भाग्य की बात यह हुई कि घर पर उसके स्वागत के लिए कोई मौजूद नहीं था. उनके माता-पिता का देहांत हो चुका था. यह उस वक्त […]
श्रीनगर : मोहम्मद अली भट्ट यह वह नाम है जो अपनी बेगुनाही साबित कर चुका है. उसने 23 साल जेल की सलाखों के पीछे बिताए और अपने घर लौटा. दुर्भाग्य की बात यह हुई कि घर पर उसके स्वागत के लिए कोई मौजूद नहीं था. उनके माता-पिता का देहांत हो चुका था. यह उस वक्त हुआ जब भट्ट दिल्ली और राजस्थान की जेलों में अपनी बेगुनाही साबित करने में लगे थे.
भट्ट सहित तीन लोगों को 1996 में नेपाल की राजधानी काठमांडू से गिरफ्तार किया गया था. मोहम्मद अली भट्ट के साथ पुलिस ने लतीफ अहमद वाजा और मिर्जा निसार हुसैन को 1996 में लाजपत नगर बम विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया. उस वक्त तीनों की उम्र करीब 20 वर्ष थी. तीनों पर बाद में राजस्थान पुलिस ने दौसा में एक बस में हुए ब्लास्ट के आरोप लगा दिये थे.
दिल्ली हाई कोर्ट ने तो नवंबर 2012 में लाजपत नगर केस से इन्हें बरी कर दिया था लेकिन तीनों को राजस्थान हाई कोर्ट में उनकी अपील की सुनवाई के लिए सलाखों के पीछे इंतजार करना पड़ा. इसी सप्ताह राजस्थान हाई कोर्ट ने भी तीनों को दोषमुक्त करार दिया जिसके बाद इनके चेहरे पर मुस्कान आ गयी.
जेल से बाहर आने के बाद भट्ट अपने घर गये जहां उन्हें मालूम हुआ कि उनके माता-पिता का देहांत हो गया है. इतना सुनते ही वे दोनों की कब्र पर गये और लिपटकर रोने लगे. भट्ट की मां का देहांत 2002 में हो गया था, जबकि उनके पिता की मृत्यु 2015 में हुई. कब्रों से लिपटकर बच्चों की तरह बिलख-बिलखकर रोते हुए भट्ट कह रहे थे कि मेरे साथ अन्याय हुआ जिससे मेरी आधी जिंदगी जाया हो गयी. मैं पूरी तरह से टूट चुका हूं…