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लक्ष्य से दूर है ‘प्रधानमंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना’, बंगाल की स्थिति सबसे खराब, 2014 में शुरू हुई थी योजना

तीन जुलाई, 2019 तक 1484 ग्राम पंचायतों की हुई पहचान नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में शुरू ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ लक्ष्य से काफी दूर है. इस योजना के शुरू होने के करीब पांच वर्ष बाद 1297 चयनित ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास के सिर्फ 56 प्रतिशत कार्य ही पूरे हो […]

तीन जुलाई, 2019 तक 1484 ग्राम पंचायतों की हुई पहचान
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में शुरू ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ लक्ष्य से काफी दूर है. इस योजना के शुरू होने के करीब पांच वर्ष बाद 1297 चयनित ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास के सिर्फ 56 प्रतिशत कार्य ही पूरे हो सके हैं.
सांसद आदर्श ग्राम योजना की वेबसाइट www.saanjhi.gov.in पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, तीन जुलाई 2019 तक सांसदों ने इस योजना के तहत 1484 ग्राम पंचायतों की पहचान की थी. अब तक 1297 ग्राम पंचायतों ने ग्राम विकास योजना के संदर्भ में 68,407 परियोजनाओं का ब्योरा अपलोड किया है. इसके तहत इनमें से 38,021 परियोजनाएं पूरी हो चुकी है, जो कुल परियोजना का 56 प्रतिशत है. इस योजना की परिकल्पना गांवों का कायापलट करने और सुविधा सम्पन्न बनाने के लिए की गयी थी.
सांसदों के मार्गदर्शन में ग्राम विकास योजना के लिए गांवों को विकास के लिए गोद लिया जाता है. इसका उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में किया था. 11 अक्तूबर, 2014 को यह योजना शुरू की गयी थी.
इस योजना के तहत सांसदों को अपने क्षेत्र में एक ‘आदर्श ग्राम’ का चयन करके उसका विकास करना था. योजना के तहत 2014 से 2019 के बीच चरणबद्ध तरीके से सांसदों को तीन गांव गोद लेने थे और 2019 से 2024 के बीच पांच गांव गोद लेने की बात कही गयी है. ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के लिए अलग से कोई आवंटन नहीं किया जाता है और सांसदों को सांसद निधि (एमपीलैड) के कोष से ही इसका विकास करना होता है.
पांच वर्ष बाद भी 1297 चयनित ग्राम पंचायतों में सिर्फ 56 प्रतिशत कार्य ही पूरे
बिहार : 4817 प्रोजेक्ट्स में से महज 1614 ही हुए हैं पूरे
आंकड़ों के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, केरल महाराष्ट्र, ओड़िशा, पंजाब में सांसद आदर्श ग्राम योजना के कार्यों का क्रियान्वयन खराब पाया गया है.
अरुणाचल में गोद ली गयीं सात ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 216 परियोजनाओं में से 28 योजनाएं ही पूरी हुई हैं, जबकि असम में गोद ली गयी 35 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 2,229 परियोजनाओं में से केवल 580 योजनाएं ही पूरी हो सकीं. बिहार में ऐसी 82 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 4817 परियोजनाएं में से 1614 योजनाएं ही पूरी हो सकीं.
कहां कितने प्रोजेक्ट्स हुए पूरे
राज्य गोद ली प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट गयी पंचायत शुरू पूरे
दिल्ली 13 …. …
हिमाचल 14 1291 420
कर्नाटक 57 9,650 5,085
केरल 82 4,270 1,963
ओड़िशा 47 941 170
पंजाब 32 815 257
बंगाल की स्थिति सबसे खराब
पश्चिम बंगाल में गोद ली गयीं ग्राम पंचायतों की संख्या 9 थी, जहां 61 ग्राम विकास योजनाएं बनी, लेकिन इनमें से कोई योजना पूरी नहीं हुई.
यूपी समेत इन राज्यों की स्थिति अच्छी : तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना जैसे राज्यों में इस योजना का क्रियान्वयन काफी अच्छा रहा है. तमिलनाडु में गोद ली गयीं ग्राम पंचायतों की संख्या 159 थी, जहां 5,282 योजनाओं में से 4,591 योजनाएं पूरी हुई.

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