नयी दिल्ली: आम बजट पर आज राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष ने यह आरोप लगाया कि यह बजट आम लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहा है. ऐसा महसूस हो रहा है कि यह बजट यूपीए सरकार के बजट का नकल मालूम होता है.
आम बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए जदयू के हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि भाजपा की राजनीति के विपरीत उसका बजट स्पष्ट नहीं है और उसमें आर्थिक विचारधारा का स्पष्ट अभाव है. उन्होंने कहा कि बजट देखकर लगता है कि भाजपा और कांग्रेस एक ही वैचारिक धरातल पर खड़े हैं और यह धरातल है बाजार अर्थव्यवस्था का.
सिंह ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाने वाले कृषि क्षेत्र के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं किया जाना चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि दूसरी हरित क्रांति के लिए पूर्वी भारत के राज्यों को कृषि के लिए अधिक आर्थिक मदद दी जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि बजट में बिहार की अनदेखी की गयी है क्योंकि राज्य की आधारभूत योजनाओं के लिए बजट में कोई खास योगदान नहीं है.सिंह ने कहा कि बजट में आईआईटी और आईआईएम के लिए तो प्रावधान किए गए हैं लेकिन शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा की अनदेखी की गयी है.
राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि बजट में राजकोषीय घाटे को कम करके 4.1 प्रतिशत लाने की बात कही गयी है जो अभी 4.5 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि राजकोषीय घाटे को कल्याणकारी योजनाओं में किए जाने वाले खर्च में कमी कर सरकारी व्यय में कटौती के जरिए पूरा किया जाएगा या अर्थव्यवस्था में विकास के जरिए अधिक कर वसूली के माध्यम से.
उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में कई ऐसी घोषणाएं की हैं जिनके बारे में स्पष्टता का अभाव है. उन्होंने कहा कि मिसाल के तौर पर बजट में स्मार्ट सिटी की बात की गयी है. लेकिन यह साफ नहीं किया गया है कि ये स्मार्ट सिटी चीन, जापान के अत्याधुनिक शहरों की तर्ज पर होंगे या भारत की दृष्टि से अत्याधुनिक होंगे.
पटेल ने कहा कि सरकार को बजट में कृषि क्षेत्र पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए था लेकिन कई क्षेत्रों में बजट आवंटन समुचित नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत बजट आवंटन घटाया गया है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संप्रग शासनकाल में सुविचारित ढंग से कृषि रिण की मात्रा को लगातार बढाया गया. इसके परिणामस्वरुप देश में पिछले वर्ष रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ.
बसपा के जुगल किशोर ने कहा कि मोदी सरकार के बजट का खाका संप्रग के बजट खाके के ही समान है और इसमें मामूली फेरबदल किया गया है.उन्होंने कहा कि बजट से समाज के विभिन्न वर्गों विशेषकर दलितों को भारी निराशा हुयी है क्योंकि इन वर्गों के हितों को साधने के लिए बजट में कोई ठोस पहल नहीं की गयी है.
माकपा की झरणा दास वैद्य ने बजट को पीछे ले जाने वाला और जनविरोधी करार देते हुए कहा कि इसमें महिलाओं की विशेष रुप से अनदेखी की गयी है. उन्होंने कहा कि बजट में महिलाओं के हितों पर बुलेट ट्रेन चलायी गयी है. माकपा सदस्य ने कहा कि बजट में पूर्वोत्तर क्षेत्र की भी अनदेखी की गयी है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का बेहद अभाव है और सरकार को बजट में इनके लिए पर्याप्त घोषणाएं करनी चाहिए थी.