श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियों ने राज्य को विशेष दर्जे की गारंटी देने वाले संवैधानिक प्रावधानों को रद्द करने या राज्य का तीन हिस्सों में बंटवारा करने की कोशिश से जुड़े किसी कदम का विरोध करने का रविवार को सर्वसम्मति से संकल्प लिया.
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बैठक में स्वीकार किये गये प्रस्ताव के हवाले से कहा कि पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजने तथा संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 ए को रद्द करने की किसी कोशिश के परिणामों से उन्हें अवगत कराने का फैसला किया है. बैठक में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, नेकां नेता उमर अब्दुल्ला, ताज मोहीउद्दीन (कांग्रेस), मुजफ्फर बेग (पीडीपी), सज्जाद लोन और इमरान अंसारी (पीपुल्स कांफ्रेंस), शाह फैसल (जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट) और एमवाई तारीगामी (माकपा) भी शामिल हुए.
पार्टियों ने भारत और पाकिस्तान से ऐसा कोई कदम नहीं उठाने की अपील की है, जो क्षेत्र में तनाव बढ़ाता हो. उन्होंने राज्य के लोगों से शांति बनाए रखने की भी अपील की. यह बैठक महबूबा के आवास पर प्रस्तावित थी, लेकिन अब्दुल्ला के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए इसका आयोजन नेकां नेता के आवास पर हुआ. सुरक्षा कारणों को लेकर जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा बीच में ही रोक दी और तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों से यथाशीघ्र घाटी छोड़ने को कहा था.
बैठक के बाद सभी नेता नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख डॉ फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि मैं दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) से अपील करता हूं कि वे ऐसा कोई भी कदम न उठायें जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़े. उन्होंने आगे कहा कि सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की पहचान, स्वायत्तता और इसके विशेष दर्जे पर कोई भी हमला होता है तो हम सब मिलकर इसकी रक्षा करेंगे. उन्होंने कहा, मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों से कहना चाहता हूं कि सब्र रखें और ऐसा कोई कदम न उठायें जिससे घाटी में खलल पड़े. जम्मू-कश्मीरे से उसका विशेष दर्जा नहीं छीना जाना चाहिए.
अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर के लिए यह सबसे बुरा वक्त है. इससे पहले कभी अमरनाथ यात्रा नहीं रोकी गयी. उन्होंने कहा, कश्मीर में अतिरिक्त बलों की तैनाती और अमरनाथ यात्रियों और तीर्थयात्रियों को सुरक्षा कारणों से घाटी छोड़ने के प्रशासनिक आदेश के बाद आमलोगों के साथ ही सियासी दल भी सरकार के कदम को लेकर सवाल उठा रहे हैं. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र सरकार ने अलगाववादियों के साथ जो करना था वह किया. अब वह वही हथकंडा जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं और राजनीतिक दलों के साथ अपना रहीहै. जब उन्हें यह पता लगा कि सभी राजनीतिक दल बैठक करने वाले हैं तो वह फारूक साहब को घोटाले के मामले को लेकर पूछताछ के लिए चंडीगढ़ ले गये. केंद्र सरकार भ्रष्टाचार को हथियार बनाकर राजनीतिक दलों और उनके कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रही है.