नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व वार्ताकारों ने बिना विचार-विमर्श किये अनुच्छेद 370 समाप्त करने के केंद्र सरकार के कदम पर सवाल खड़े किये हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा जम्मू-कश्मीर के सभी वर्गों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए नामित वार्ताकार राधा कुमार ने कहा, मैंने इतने वर्षों में हमारे लोकतंत्र पर इस तरह का करारा हमला नहीं देखा है. आपातकाल में भी कुछ संवैधानिक कवच होते हैं. कुमार ने कहा, यह घोषणा बड़ी संवैधानिक घोषणा है. बिना सार्वजनिक किये या विधायिका के संज्ञान में लाये बगैर, बिना विचार-विमर्श किये, जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार के बगैर आप इस तरह की घोषणा कैसे कर सकते हैं? कश्मीर में सभी पक्षकारों से वार्ता करने के लिए नियुक्त एक अन्य वार्ताकार एमएम अंसारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की यथास्थिति बदलने के लिए सभी पक्षकारों और खासकर मुख्य धारा के राजनीतिक दलों के साथ लोकतांत्रिक विचार-विमर्श की जरूरत होती है.
उन्होंने कहा कि देश की विविधता के संरक्षण की जरूरत है और राज्य के लोगों को ज्यादा शक्ति दिये जाने का वक्त है. सरकार ने सोमवार को अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल था और प्रस्ताव दिया कि राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में बांट दिया जाये. अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने से राज्य का 1950 में अन्य रियासतों की तर्ज पर पूरी तरह भारतीय संघ में विलय हो जायेगा और इसके नागरिकों को अन्य नागरिकों के तरह समान अधिकार हासिल होंगे. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के खत्म होने से अनुच्छेद 35 ए स्वत: खत्म हो जायेगा जिससे वहां के निवासियों को जमीन, व्यवसाय और रोजगार पर मिला विशेष दर्जा समाप्त हो जायेगा. इस निर्णय से किसी भी व्यक्ति, व्यवसायी या एनजीओ को नये केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में देश के एक ही नियम के तहत स्वतंत्रतापूर्वक काम करने का अधिकार मिलेगा.