नयी दिल्ली : आर्टिकल 370 पर जारी बहस में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को सरकार से जानना चाहा कि जम्मू कश्मीर देश का आंतरिक विषय है या द्विपक्षीय मामला. इस विषय पर अधीर रंजन ने कुछ इस तरह से सवाल पूछा कि वे खुद ही घिरते नजर आये. अधीर रंजन ने कहा कि 1948 से संयुक्त राष्ट्र राज्य संबंधी स्थिति की निगरानी कर रहा है. फिर जम्मू-कश्मीर किस तरह से देश का आतंरिक मामला है. उन्होंने कहा कि यह बुनियादी प्रश्न है और सरकार को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए. आप बतायें कि यह आंतरिक मामला है या द्विपक्षीय. ‘ सत्तापक्ष के सदस्यों ने चौधरी के इस बयान का विरोध किया.
इस दौरान टोका-टोकी की स्थिति देखने को भी मिली. सोनिया गांधी भी अधीर रंजन की तरह जैसे देख रही थीं, उसमें उनकी सहमति नजर नहीं आ रही थी. कांग्रेस नेता ने शिमला समझौते, लाहौर समझौते को लेकर भी सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में तीन पूर्व मुख्यमंत्री नजरबंद हैं. अमरनाथ यात्रा को क्यों बंद किया गया है? जम्मू कश्मीर को जेलखाना बना दिया गया है. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने पूछा कि जैसा कि अभी कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कश्मीर का मसला संयुक्त राष्ट्र में है और संयुक्त राष्ट्र इस पर निगरानी रख रहा है तो इस मामले में सरकार कैसे विधेयक ला रही है?
उन्होंने कहा कि मुझे कांग्रेस से कहना है कि इस मामले में उन्हें अपना रुख साफ करना चाहिए . इसका कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि चौधरी का यह आशय नहीं था. इस पर अमित शाह ने दोबारा अधीर रंजन चौधरी से बात रखने का आग्रह किया . चौधरी ने कहा कि वह इस विषय पर सरकार से सिर्फ स्पष्टीकरण चाहते हैं . कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा संकल्प का विरोध किये जाने पर शाह ने पूछा कि क्या कांग्रेस पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को भारत का हिस्सा नहीं मानती है? लेकिन हम इसके लिए जान भी देने को तैयार हैं. जम्मू कश्मीर का मतलब पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) और अक्साई चिन से भी है क्योंकि इसमें दोनों समाहित हैं.