जम्मू : देश के बंटवारे के समय पश्चिमी पाकिस्तान से आये और जम्मू क्षेत्र में बसे शरणार्थियों ने अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि इससे लंबे समय से चली आ रही उनकी ‘दासता’ खत्म होगी. इन शरणार्थियों को अब तक जम्मू कश्मीर की नागरिकता नहीं मिल पायी है. इन लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए केंद्र के फैसले को ऐतिहासिक बताया.
उन्होंने कहा कि पांच अगस्त का दिन (जब अनुच्छेद 370 को हटाने की घोषणा की गयी) ‘स्वर्णाक्षरों’ में लिखा जायेगा. पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थी कार्य समिति के अध्यक्ष लाभा राम गांधी ने कहा, ‘घोषणा से उन 25 हजार परिवारों के घरों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है जो 1947 में देश के विभाजन के दौरान पाकिस्तान से विस्थापित होकर आये थे. हम पिछले 71 साल से अपने अधिकारों, खासकर जम्मू कश्मीर की नागरिकता के लिए संघर्ष करते रहे हैं.’
गांधी ने कहा कि शरणार्थी समुदाय इस ‘साहसिक और ऐतिहासिक’ निर्णय के लिए प्रधानमंत्री का आभारी है जिसने ‘हमें गुलामी की जंजीरों से मुक्त करा दिया है.’ उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज पाकिस्तान के सियायलकोट से यहां तथा आसपास के क्षेत्रों में आए थे क्योंकि देश के विभाजन के बाद शरण लेने के लिए जम्मू कश्मीर सबसे नजदीकी क्षेत्र था.
गांधी ने कहा, ‘देश के अन्य हिस्सों में जहां पाकिस्तानी शरणार्थियों को उनके विस्थापन के तुरंत बाद स्वतंत्रता मिल गयी और उन्होंने नये सिरे से अपना जीवन शुरू कर लिया, वहीं हम क्रूर षड्यंत्र में फंस गये और अनुच्छेद 370 तथा अनुच्छेद 35ए के चक्कर में हमें नागरिकता अधिकार प्रदान करने से इनकार कर दिया गया.’ उन्होंने कहा कि जब कोई उन्हें पाकिस्तानी शरणार्थी कहता है तो वह आहत महसूस करते हैं.