"प्रधान मंत्री जी – आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी"
इस ट्वीट को करने से पहले शायद खुद सुषमा स्वराज ने भी नहीं सोचा होगा की यहीं उनका आखिरी ट्वीट होगा. अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशी देखने के बाद यूं सबको छोड़ वो चली जाएंगी. उनके ट्वीट को पढ़कर हर कोई गमगीन है. उन्हें याद कर रहा है.
अपने अंतिम ट्वीट में उन्होंने आर्टिकल 370 पर पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा था कि वो अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी. लेकिन शायद उन्हें भी यह पता नहीं था इस दिन को देखना उनकी जिंदगी का आखिरी दृष्य होगा. लेकिन होनी को शायद यहीं मंजूर था. आर्टिकल 370 तो हट गया. देश भर में इसका जश्न भी मना, लेकिन इस जश्न को ठीक से देख पाने से पहले वो आंखे सदा के लिए बंद हो गई जिसकी जिंदगी का मकसद ही इसे हटाना था.
सुषमा स्वराज का यूं अचानक चले जाना मानों पूरे देश को झकझोर देने जैसा है. जश्न में डूबा देश अपने इस नेता का जाना कैसे सहे. हर नम आंखों में यहीं सवाल तैर रहा है, आंखों से देखकर और कानों से सुनकर भी कोई यकीन नहीं कर पा रहा है कि सुषमा जैसी कद्दावर और लोकप्रिय नेता उनके बीच नहीं है.
यही जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई है, और कभी कभी इसे ही मन मानने से इनकार कर देता है. खुशी के इस परम क्षण में आये गम के ऐसे सैलाब को देश कैसे बर्दास्त करेगा. कोई कैसे यकीन करेगा की उनकी परेशानियों की हमदर्द नेता उनके बीच अब महज याद बनकर रह गयी हैं.
शायद होनी इसे ही कहते है जिसपर किसी का वश नहीं होता. तभी तो पूरे देश को स्तब्ध छोड़कर वो जिंदगी की सबसे बड़ी जंग हार गई. सुषमा स्वराज एक उम्दा नेता के रूप में हमेशा से जानी जाएंगी, ऐसा नेता जिनका नाम ही उनकी पहचान है.