370 पर जोरदार भाषण देने वाले लद्दाख के सासंद शेरिंग नामग्याल के बारे में कितना जानते हैं आप

नयी दिल्लीः लोकसभा में धारा 370 पर बहस के दौरान जिस सांसद ने सबसे ज्यादा तालियां बटोरीं, वो लद्दाख से भाजपा सांसद हैं. नाम है जामयांग शेरिंग नामग्याल. उम्र 34 साल. अपने जोरदार भाषण के बाद वो हर ओर चर्चा में हैं. सोशल मीडिया के हीरो बन चुके हैं. उनका भाषण सोशल मीडिया में छाया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2019 9:55 AM

नयी दिल्लीः लोकसभा में धारा 370 पर बहस के दौरान जिस सांसद ने सबसे ज्यादा तालियां बटोरीं, वो लद्दाख से भाजपा सांसद हैं. नाम है जामयांग शेरिंग नामग्याल. उम्र 34 साल. अपने जोरदार भाषण के बाद वो हर ओर चर्चा में हैं. सोशल मीडिया के हीरो बन चुके हैं. उनका भाषण सोशल मीडिया में छाया हुआ है.

छह अगस्त को जब वो लोकसभा में बोलने के लिए खड़े हुए तो एक-एक कर हर मुद्दे पर बेबाकी से बोले. विरोधियों को पस्त करते दिखे और ये समझाते दिखे कि मोदी सरकार कश्मीर को लेकर जो बड़े बदलाव करने जा रही है वो जरूरी हैं. जब वो भाषण दे रहे थे तो अमित शाह सहित करीब करीब सभी भाजपा सांसद लगातार मेज थपथपा रहे थे. पीएम मोदी ने भी ट्वीट के जरिए युवा सांसद शेरिंग नामग्याल की तारीफ की थी. लोकसभा में दिए उनके भाषण सुनने के बाद लोगों ने कहा, आज राजनीति में एक नए सितारे का उदय हुआ है.

सोशल मीडिया पर अचानक से हीरो बने जामयांग शेरिंग नामग्याल ने एक ट्वीट के जरिए नयी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मैं फेसबुक अकाउंट पर अधिक फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं कर सकता, क्योंकि 5000 की सीमा पार हो चुकी है. तो कृपया इसे लाइक करें और मेरे आधिकारिक फेसबुक पेज से जुड़े रहें. टि्वटर पर भी इनके फॉलोवर्स की संख्या 1. 11 लाख से पार हो गयी है जो लगातार बढ़ ही रही है.

साधारण परिवार से आते हैं जामयांग शेरिंग नामग्याल

जामयांग शेरिंग 2019 का लोकसभा चुनाव लद्दाख से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं. जामयांग लद्दाख क्षेत्र से चुनकर आने वाले अब तक के सबसे युवा सांसद हैं. उन्हें स्थानीय लोग प्यार से जेटीएन कहकर पुकारते हैं. नामग्याल सामान्य परिवार से आते हैं. उनका जन्म 4 अगस्त 1985 को लेह में माथो गांव में हुआ था. नामग्याल का बचपन गांव में ही बीता. फिर 12वीं की पढ़ाई के बाद उन्होंने जम्मू विश्वविद्यालय जम्मू-कश्मीर से बीए किया. इनके पिता मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस में बढ़ई के रूप में काम कर रहे हैं.
खाली समय में जेटीएन को कविताएं लिखना पसंद है. 2013 में जेटीएन की भोटी भाषा में ‘अ गिफ्ट ऑफ पोएट्री’ नाम की किताब भी आयी थी. जेटीएन ने ‘डिविजनल स्टेटस ऑफ लद्दाख और उसको लेकर जो समस्याएं है, उस पर कई लेख लिख चुके हैं. भोटी भाषा पर शानदार पकड़ है, भोटी भाषा के शिक्षक हैं. आर्ट्स स्कूल के डायरेक्टर हैं. आर्गेनिक तरीके से खेती भी करते और करवाते हैं.
ऐसा रहा राजनीतिक सफर
जम्मू में पढ़ाई करते हुए जामयांग ऑल लद्दाख स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे. उन्होंने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज़ से सीनयर सेकेंडरी की पढ़ाई की और जम्मू यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद राजनीति में आए और 2012 में भाजपा से जुड़े. नवंबर 2018 में वो लद्दाख ऑटोनोमस हिल डिवलपमेंट काउंसिल के सबसे युवा चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर चुने गए.
2014 के चुनाव में लद्दाख सीट से थुपस्तान छेवांग चुनाव लड़े और जीते. इस दौरान जेटीएन, थुपस्तान के प्राइवेट सेक्रेटरी रहे. लोकसभा चुनाव के दौरान थुपस्तान के लिए कैंपेन किए और थुपस्तान 36 वोटों से चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे. नवंबर 2018 में थुपस्तान ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था और पार्टी नेतृत्व से असहमति का हवाला देते हुए बीजेपी छोड़ दी थी. जेटीएन ने 2015 में लद्दाख ऑटोनोमस हिल डिवलपमेंट काउंसिल, लेह के लिए पार्षदी का चुनाव लड़ा.
बीजेपी ने उन्हें मार्टसेलंग सीट से टिकट दिया और वह 825 वोटों से जीते. लोकल लेवल पर पार्टी में बगावत होने के कारण 2018 में सर्वसम्मति से लद्दाख ऑटोनोमस हिल डिवलपमेंट काउंसिल के प्रमुख चुने गए थे. राष्ट्रीय राजनीति में जेटीएन तब आए जब बीजेपी ने उन्हें लद्दाख सीट से टिकट दिया. पीडीपी की पूरी लेह यूनिट के बीजेपी में शामिल होने के बाद उनकी जीत लगभग तय हो गयी थी.
लद्दाख में सीनियर नेताओं की नाराजगी के बावजूद जेटीएन करीब 11 हज़ार वोटों से जीते. उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक मांगों में से एक लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा और भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में भोटी (लद्दाखी) भाषा को शामिल करना है. इसमें से उनकी एक मांग तो अब पूरी हो गयी है.

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