नयी दिल्ली:भारत के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा है कि कांग्रेस को लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद नहीं मिलना चाहिए. रोहतगी ने कहा है कि इसके लिए कोरम के बराबर यानी लोकसभा में कम से कम 10 फीसदी सीटें पार्टी के पास होनी चाहिए, तभी किसी पार्टी को नेता विपक्ष का पद मिल सकता है.
सरकार ने इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल से राय मांगी थी. वैसे, 1984 में राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार ने भी किसी को नेता, विपक्ष का पद नहीं दिया था. तब कांग्रेस को 415 सीटें मिली थीं. 1969 तक तो विपक्ष इतना छोटा था कि किसी को नेता, विपक्ष बनाया ही नहीं गया था.
कांग्रेस ने नहीं दी अहमियत
कांग्रेस ने अटॉर्नी जनरल की राय को अहमियत न देते हुए कहा है कि उनकी राय कोई बंधन नहीं है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने एक न्यूज से बातचीत में कहा कि अटॉर्नी जनरल की राय मानने के लिए संसद बाध्य नहीं है. उन्होंने कहा कि अटॉर्नी जनरल की राय से कांग्रेस की मांग की अहमियत कम नहीं होती और सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को मान्यता मिलनी ही चाहिए.
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्र महाजन को तटस्थ होकर संसद में विपक्ष की आवाज को उठने देना चाहिए. राज्य सभा में विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को इस संबंध में उदार होना चाहिए, खासतौर पर ऐसे समय में जबकि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की चयन प्रक्रि या शुरू हो गयी है.