नयी दिल्ली: गूगल ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई को उनकी 100वीं जयंती पर डूडल बनाकर सम्मानित किया. विक्रम साराभाई, वैज्ञानिक, आविष्कारकर्ता और सफल उद्योगपति थे. इनका जन्म 12 अगस्त 1919 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था. गूगल ने जिस डूडल से विक्रम साराभाई को सम्मानित किया उसे मुंबई के रहने वाले एक कलाकार पवन राजुरकर ने बनाया है.
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना
विक्रम साराभाई ने गुजरात कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद लंदन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की. 11 नंवबर 1947 को भारत वापस लौटने के बाद विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की. कहा जाता है कि इस काम में विक्रम साराभाई के उद्योगपति पिता ने उनकी वित्तिय सहायता की थी.
नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना
साल 1962 में विक्रम साराभाई ने नेशनल कमिटि फॉर स्पेस रिसर्च नाम के संगठन की स्थापना की. जिसका नाम आगे चलकर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) पड़ा. इस काम के लिए विक्रम साराभाई को साल 1966 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. इससे पहले साल 1962 में इन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. विक्रम साराभाई परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने गुजराती उद्योगपतियों के साथ मिलकर भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
1963 को भारत का पहला रॉकेट लॉन्च हुआ
कहा जाता है कि रूस द्वारा अंतरिक्ष में रॉकेट लांच के बाद विक्रम साराभाई ने भारत की सरकार को अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए तैयार किया और इसकी सफलता के प्रति आश्वस्त भी किया. इस योजना में इनकी सहायता भारत में परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने की थी. इन्हीं की सहायता से 21 नवंबर 1963 को भारत का पहला रॉकेट लांच किया जा सका. इसके लिए सोडियम वाष्प पेलोड का इस्तेमाल किया गया था.
अंतरिक्ष कार्यक्रमों को लेकर विक्रम साराभाई का कहना था कि कुछ लोग हम जैसे विकासशील देशों के अंतरिक्ष अभियानों की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हैं. उन्होंने कहा कि समाज और राष्ट्र की उन्नति के लिए हम अपने अंतरिक्ष अभियान की शुरुआत करना चाहते हैं और ये हमारा हक है. विक्रम साराभाई का कहना था कि हम अपने उद्देश्य को लेकर अस्पष्ट नहीं हैं.
अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए नासा से संवाद
बता दें कि साल 1966 में विक्रम साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की रुपरेखा को लेकर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ बातचीत की थी. इसी का परिणाम था कि साल 1975-76 के बीच नासा ने सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न प्रयोग (SITE) की शुरुआत करने में भारत की सहायता की थी. बता दें कि विक्रम साराभाई ने एक भारतीय उपग्रह के निर्माण और इसकी लॉचिंग के लिए परियोजना की शुरुआत की थी. इसी कार्यक्रम के तहत साल 1975 में पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट रुसी प्रक्षेपण यान की सहायता से कक्षा में स्थापित किया गया. हालांकि ये देख पाने के लिए विक्रम साराभाई नहीं थे क्योंकि साल 1971 में उनका निधन हो गया था.
भारत सरकार ने इससे पहले उनके सम्मान में साल 1973 में चांद पर एक गड्ढा बनाया था. इसरो ने इसी साल पिछले महीने मिशन चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इसका विक्रम लैंडर 7सितंबर को चंद्रमा की सतह को छूएगा. आज की ये सफलता का श्रेय भी कहीं ना कहीं विक्रम साराभाई को दिया जाना चाहिए जिन्होंने इस संस्थान की नींव रखी.
20 दिसंबर 1971 को विक्रम की मृत्यु हो गयी
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान का ये सितारा 30 दिसंबर साल 1971 को दुनिया को अलविदा कह गया. बता दें कि इनकी मृत्यु वहीं हुई जहां इन्होंने भारत के पहले रॉकेट का परीक्षण किया था. दिसंबर के आखिरी हफ्ते मं विक्रम साराभाई थुंबा में एख रूसी रॉकेट का परीक्षण देखने पहुंचे थे और वहीं कोवलम बीच के रिजॉर्ट में रात को नींद में ही उनकी मृत्यु हो गयी.