CBSE ने बतायी वजह, फीस बढ़ाने के लिए इसलिए होना पड़ा मजबूर

नयी दिल्ली : सीबीएसई के अधिकारियों के अनुसार 10वीं और 12वीं कक्षाओं की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने में 200 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान के कारण बोर्ड को फीस में वृद्धि के लिए मजबूर होना पड़ा. अधिकारियों के अनुसार, बोर्ड परीक्षाओं के जल्दी परिणाम के साथ ही परीक्षाओं को ‘लीक प्रूफ’ बनाने तथा त्रुटि-रहित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 13, 2019 8:25 PM

नयी दिल्ली : सीबीएसई के अधिकारियों के अनुसार 10वीं और 12वीं कक्षाओं की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने में 200 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान के कारण बोर्ड को फीस में वृद्धि के लिए मजबूर होना पड़ा.

अधिकारियों के अनुसार, बोर्ड परीक्षाओं के जल्दी परिणाम के साथ ही परीक्षाओं को ‘लीक प्रूफ’ बनाने तथा त्रुटि-रहित मूल्यांकन के लिए उठाये गए कदमों से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है.

अधिकारियों ने कहा कि जेईई और एनईईटी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मेदारी नवगठित राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को दिये जाने के कारण भी उस पर वित्तीय संकट पैदा हुआ है.

सीबीएसई ने पिछले हफ्ते 10वीं और 12वीं के लिए परीक्षा शुल्क, कक्षा 9 और 11 के लिए पंजीकरण शुल्क आदि में वृद्धि की घोषणा की थी. बोर्ड के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि आत्मनिर्भरता के साथ ही परीक्षा, मूल्यांकन की गुणवत्ता तथा करीब 200 करोड़ रुपये की वित्तीय कमी को दूर करने के लिए शुल्क में वृद्धि की आवश्यकता है.

त्रिपाठी के अनुसार सीबीएसई कक्षा 10 और 12 के लिए परीक्षाएं आयोजित करने पर सालाना करीब 500 करोड़ रुपये खर्च करता है. उन्होंने कहा, पिछले कुछ वर्षों में हर साल लगभग 200 करोड़ रुपये की कमी रही है.

हालांकि, जेईई और एनईईटी सहित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करके उस घाटे को पूरा कर लिया जाता था. लेकिन इन्हें अब मानव संसाधन मंत्रालय की एनटीए को सौंप दिया गया है.

त्रिपाठी ने कहा, इसलिए फीस बढ़ाने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं है. हम परीक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं कर सकते. बोर्ड के सचिव ने कहा कि सीबीएसई एक स्वायत्त और स्व-वित्तपोषित निकाय है और इस कदम से अब यह ‘न नफा और न नुकसान’ की स्थिति में आ जाएगा.

उन्होंने कहा कि फीस बढ़ाने का फैसला सीबीएसई के संचालन निकाय द्वारा सभी कारकों पर विचार करने के बाद लिया गया और फीस में वृद्धि पांच साल के अंतराल के बाद की गयी है.

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