नयी दिल्ली: कारगिल विजय के 15 साल बाद भारतीय केन्द्र सरकार सेना को तोहफा देने की तैयारी कर रही है. शहीदों की याद में सरकार युद्ध स्मारक बनायेगी. रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सरकार एक विशाल राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण स्थल के बारे में जल्द फैसला करेगी.
कारगिल विजय की 15वीं वर्षगांठ,मोदी ने शहीदों को किया नमन,जेटली ने दी श्रद्धांजलि
शनिवार को नयी दिल्ली के इंडिया गेट परिसर में तीनों सेनाध्यक्षों के साथ श्रद्धांजलि देने पहुंचे अरूण जेटली ने कहा कि वह जल्द ही सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ इंडिया गेट परिसर के निकट प्रिंसेज पार्क इलाके का दौरा करेंगे ताकि इस मुद्दे पर फैसला किया जा सके.
उन्होंने कहा कि युद्ध स्मारक में उन सभी लोगों के नाम लिखे जाएंगे जिन्होंने देश के लिए कुर्बानी दी है. हमारा मानना है कि यह जरुरी है. रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारा मानना है कि इस स्थल (प्रिसेंज पार्क) के निकट एक बहुत बडे इलाके या फिर इसके नजदीक कहीं और स्मारक के लिए स्थान का चयन किया जाना चाहिए. हम एक या दो दिनों में सैन्य प्रमुखों के साथ इस स्थान का दौरा करेंगे और जल्द फैसला करेंगे.
जेटली ने कहा कि स्मारक के निर्माण में कुछ समय जरुर लगेगा क्योंकि हम एक अच्छा युद्ध स्मारक तथा युद्ध संग्रहालय बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि युद्ध संग्रहालय प्रिसेंज पार्क के निकट बनाया जायेगा. रक्षा मंत्री ने कहा कि वहां एक बडा भूखंड है और हमें लगता है कि यह युद्ध संग्रहालय के लिए उचित है जिसकी भारत को जरुरत है. विवरण को अंतिम रुप दिए जाने के साथ ही उनको सभी विभागों से मंजूरी लेनी होगी. उन्होंने कहा कि वे सोचते हैं कि सैद्धांतिक रुप से यह पूरा इंतजाम है. इसके पूरा होने में कुछ समय लगेगा.
यह पूछे जाने पर कि निरंतर संघर्ष विराम का उल्लंघन होने की स्थिति में पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की बातचीत किस तरह की होगी तो जेटली ने कहा, ‘‘आपकी ओर से उठाया मुद्दा ही अपने आप में एक मुद्दा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब कभी बातचीत होती है तो भारत अपनी संप्रभुता से जुडे मुद्दों को उठाता है.’’सैन्य बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन की कमी पर रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है. सेना के पास पूरा साजोसामान है और वह पूरी तरह तैयार है.’’ उन्होंने कहा कि ‘सैन्य बलों को जब कभी किसी चीज की जरुरत होगी तो सरकार प्राथमिकता के आधार पर उन जरुरतों को पूरा करेगी. इसके लिए भले ही दूसरे क्षेत्रों के खर्च में कटौती क्यों न करनी पडे. इस साल भी हमने रक्षा खर्च में बढोतरी की है.