सफल रही सुषमा की नेपाल यात्रा, आपसी संबंधों में ताजगी का भरोसा
काठमांडू :भारत और नेपाल ने शनिवार द्विपक्षीय संबंधों को नयी उंचाइयों तक पहुंचाने पर जोर देते हुए 23 साल के लंबे अंतराल के बाद संयुक्त आयोग की बैठक की. इसमें दोनों देशों ने रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और निवेश, जल संसाधनों और सीमा से जुड़े मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने का फैसला किया. संयुक्त आयोग की बैठक […]
काठमांडू :भारत और नेपाल ने शनिवार द्विपक्षीय संबंधों को नयी उंचाइयों तक पहुंचाने पर जोर देते हुए 23 साल के लंबे अंतराल के बाद संयुक्त आयोग की बैठक की. इसमें दोनों देशों ने रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और निवेश, जल संसाधनों और सीमा से जुड़े मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने का फैसला किया.
संयुक्त आयोग की बैठक (जेसीएम) की सह-अध्यक्षता विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और नेपाल के विदेश मंत्री महेंद्र बहादुर पांडे ने की. बैठक के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि नये क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा कर आपसी संबंधों में ताजगी लायी जानी चाहिए.
संयुक्त आयोग की बैठक में यह भी तय किया गया कि आपसी सहयोग के नये क्षेत्रों का पता लगाने और दोनों देशों में उपलब्ध संभावनाओं का लाभ उठाने के उपायों पर सुझाव देने के लिए जाने माने व्यक्तियों का एक समूह बनाया जाना चाहिए. सरकारी सूत्रों ने बताया कि दोनों देश ऐसे समूह गठन की शतोंर् और संदर्भ को लेकर आपस में सहमत हुए हैं.
संयुक्त आयोग की बैठक में रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी विशेष तौर पर बातचीत की गयी और इसमें सहयोग विस्तार पर सहमति जतायी गयी. बातचीत के मूल में यही भावना थी कि दोनों देशों की सुरक्षा का मुद्दा आपस में जुड़ा हुआ है. भारत-नेपाल के बीच 1950 में हुई शांति और दोस्ती की संधि दोनों देशों के बीच आज जो खास रिश्ते हैं उसका आधार रही है.
* पांच अलग-अलग समूहों में चर्चा
विदेश सचिव सुजाता सिंह तथा कई अन्य मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारी बैठक मौजूद थे. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, वाणिज्य, जल संसाधन और संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं. बैठक में विचार-विमर्श पांच अलग-अलग समूहों में हुआ. इनमें राजनीतिक, सुरक्षा और सीमा से जुड़े मुद्द पर एक समूह, आर्थिक सहयोग और ढांचागत परियोजनाओं के बारे में अलग समूह, व्यापार और पारगमन, बिजली और जल संसाधन, संस्कृति, शिक्षा और मीडिया क्षेत्र पर भी अलग से बातचीत हुई. राजनीति, सुरक्षा और सीमा से जुडे विषय पर हुई बातचीत की सह-अध्यक्षता सुषमा स्वराज ने की. संयुक्त आयोग की बैठक से पहले सुषमा की नेपाल के विदेश मंत्री पांडे से अलग से बातचीत हुई. इससे पहले पांडे ने सुषमा स्वराज का गर्मजोशी से स्वागत किया और उम्मीद जतायी कि उनकी नेपाल यात्रा से दोनों देशों के बीच रिश्ते और मजबूत होंगे.
* 17 साल बाद आयेंगे भारतीय पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन अगस्त से दो दिवसीय नेपाल यात्रा से पहले सुषमा की इस यात्रा को मोदी की पूर्वपीठिका के तौर पर देखा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 17 वर्षों में पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी. इससे पहले वर्ष 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने नेपाल की यात्रा की थी. सुषमा अपने कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री सुशील कुमार कोइराला से और कम्युनिस्ट नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड सहित राजनीतिक हस्तियों से भी मिलने की योजना है.
* यूपीए नेताओं का दौरा
यूपीए सरकार में विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने जनवरी 2010 और फिर अप्रैल 2011 में नेपाल की यात्रा की थी. उसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने नवंबर 2011 में नेपाल की यात्रा की थी
* भारत के लिए नेपाल अहम
शुक्रवार को यहां पहुंचने के कुछ ही देर बाद सुषमा ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी नयी सरकार के प्राथमिकता एजेंडा में नेपाल ऊपर है और विदेश मंत्रालय का कार्यभार संभालने के दो महीने के भीतर ही उनका नेपाल दौरा इसका जीता जागता उदाहरण है. सुषमा ने कहा जिस बैठक के लिये मैं यहां आयी हूं, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह बैठक 23 साल बाद हो रही है. इससे पता चलता है कि नई सरकार की प्राथमिकता सूची में नेपाल ऊपर है. मैं यहां काफी उम्मीदें लेकर आयी हूं और मेरा मानना है कि इस यात्रा के जरिये भारत-नेपाल संबंधों में और मजबूती आयेगी.
दोनों देशों के बीच हालांकि संयुक्त आयोग की बैठक लंबे समय के बाद हो रही है, लेकिन दोनों देशों के बीच 25 द्विपक्षीय प्रणालियां हैं जिनके तहत नियमित आधार पर बातचीत होती रहती है. भारत और नेपाल के बीच इस समय सालाना द्विपक्षीय व्यापार करीब 4.7 अरब डॉलर का है. नेपाल में होने वाले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारत का हिस्सा 47 प्रतिशत तक है.
– संबंधों पर एक नजर
* 4.7 अरब डॉलर का है भारत-नेपाल सालाना द्विपक्षीय व्यापार
* 47 नेपाल में कुल प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारत का हिस्सा
* 60 लाख नेपाली भारत में करते हैं काम
* 3,000 नेपालियों को भारत हर साल छात्रवृत्ति देता है
* 1,850 किमी लंबी है भारत नेपाल सीमा
* भारत के पांच राज्यों (सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपीऔर उत्तराखंड) से नेपाल की सीमा लगती है