नयी दिल्ली : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को तुष्टिकरण की राजनीति को विकास एवं सामाजिक समरसता के मार्ग में बाधक बताया. शाह ने कहा कि कोई भी कुप्रथा हो, जब उसे निर्मूल किया जाता है तो उसका विरोध नहीं होता, बल्कि उसका स्वागत होता है, लेकिन तीन तलाक कुप्रथा को हटाने के खिलाफ इतना विरोध हुआ.
इसके लिए तुष्टिकरण की राजनीति, उसका भाव जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों के वोट बैंक के आधार पर सालों साल तक सत्ता में आने की आदत के कारण देश में तीन तलाक जैसी कुप्रथाएं चलती रहीं. इस देश के विकास और सामाजिक समरसता के आड़े भी तुष्टिकरण की राजनीति आयी है. ‘तीन तलाक की समाप्ति : एक ऐतिहासिक गलती में सुधार’ विषय पर अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा, जो राजनीति 60 के दशक के बाद कांग्रेस ने शुरू की और बाकी दलों ने भी उसका अनुसरण किया, उसका असर देश के लोकतंत्र, सामाजिक जीवन और गरीबों के उत्थान पर पड़ा है. 2014 में इस देश की जनता ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को पूर्ण बहुमत देकर तुष्टिकरण की राजनीति के अंत की शुरुआत कर दी.
उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति सामाजिक समरसता और देश के विकास के आड़े भी आयी है. इसके पक्ष में बात करने वाले कई तरह के तर्क देते हैं. उसके मूल में वोटबैंक की राजनीति और शॉर्टकट लेकर सत्ता हासिल करने की राजनीति है. उन्होंने कहा कि जो अभाव में जी रहा है, जो गरीब-पिछड़ा, वो किसी भी धर्म का हो. विकास के दौर में जो पिछड़ गया है, उसे ऊपर उठाओ, अपने आप समाज सर्वस्पर्शी-सर्वसमावेशी मार्ग पर आगे बढ़ जायेगा. शाह ने कहा कि बगैर तुष्टिकरण यह सरकार समविकास, सर्वस्पर्शी विकास, सर्वसमावेशी विकास के आधार पर पांच साल चली. इसी थ्योरी पर 2019 में इस देश की जनता ने तुष्टिकरण से देश को हमेशा के लिए मुक्त करने के लिए दोबारा नरेंद्र मोदी को जनादेश दिया है. उन्होंने कहा कि इसी बहुमत के आधार पर भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन तलाक की कुप्रथा को खत्म करने का काम किया है.