उत्तराखंडः उत्तरकाशी में बादल फटने से तबाही, 17 लोगों की मौत, कई घायल
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश और बाढ़ के कारण तबाही मची है. कई जगह बादल फटने के बाद कोहराम मचा हुआ है तो कई जगह भूस्खलन से परेशानी है. उत्तरकाशी के मोरी क्षेत्र में रविवार को बादल फट गया.इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई जबकि कई लोग घायल हो गए. रेस्क्यू […]
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश और बाढ़ के कारण तबाही मची है. कई जगह बादल फटने के बाद कोहराम मचा हुआ है तो कई जगह भूस्खलन से परेशानी है. उत्तरकाशी के मोरी क्षेत्र में रविवार को बादल फट गया.इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई जबकि कई लोग घायल हो गए. रेस्क्यू ऑपरेशन अभी जारी है. मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है.
Secretary (Incharge) Disaster Management, S A Murugesan, to ANI: 17 people have died in the cloud burst in Mori tehsil of Uttarkashi. #Uttarakhand pic.twitter.com/ZkzlsM2YnZ
— ANI (@ANI) August 19, 2019
आपदा प्रबंधन के सचिव एस ए मुरुगेसन ने बताया कि उत्तरकाशी के मोरी तहसील में बादल फटने से 17 लोगों की मौत हो गई है. राहत और बचाव कार्य चल रहा है. उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में समेत देश के तमाम हिस्सों में मूसलाधार बारिश के कारण जनजीवन बेहाल है. बारिश के कारण जहां एक ओर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा तबाही देखने को मिली है, वहीं पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत अन्य राज्यों में भी बारिश के कारण लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
उत्तर भारत में बारिश से सबसे अधिक नुकसान हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हुआ है, जहां सामान्य से 1065 फीसदी अधिक बारिश हुई है.उत्तराखंड और हिमाचल के अलग-अलग हिस्सों में हुई बारिश के कारण अब तक 31 लोगों की मौत होने की खबर है। बारिश से सबसे अधिक नुकसान उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हुआ है, जहां बाढ़ के बीच 14 लोगों के मारे जाने और कई के लापता होने की आशंका जताई गई है.
वहीं आंध्र प्रदेश समेत दक्षिण भारत के कई हिस्सों में भी बाढ़ के कारण त्रासदी जैसे हालात बने हुए हैं. बदलते मौसम के बीच मौसम विभाग ने हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. साथ-साथ बारिश के चलते तमाम नदियों का जलस्तर बढ़ने से बांधों और बैराज के गेट खोलने पड़े हैं. दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान को छू रही है.
यमुना में इतना पानी अबतक नहीं छोड़ा गया था. 1978 में यमुना में सबसे बड़ी बाढ़ आई थी और तब हरियाणा से 7 लाख क्यूसेक ही पानी छोड़ा गया था. बाढ़ के खतरे को देखते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने आपात बैठक बुलाई है.