#JammuAndKashmir: जम्मू इलाके के पांच जिलों में फिर से बहाल हुई मोबाइल फोन सेवा
श्रीनगर: जम्मू इलाके के पांच जिलों में मोबाइल फोन सेवाएं बहाल कर दी गयी है. जानकारी के मुताबिक डोडा, किश्थर, रामबाण, राजौरी और पुंछ में मोबाइल सेवा बहाल कर दी गयी है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद बीते 5 अगस्त से ही राज्य में मोबाइल सेवा बंद कर दी गयी […]
श्रीनगर: जम्मू इलाके के पांच जिलों में मोबाइल फोन सेवाएं बहाल कर दी गयी है. जानकारी के मुताबिक डोडा, किश्थर, रामबाण, राजौरी और पुंछ में मोबाइल सेवा बहाल कर दी गयी है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद बीते 5 अगस्त से ही राज्य में मोबाइल सेवा बंद कर दी गयी थी. लेकिन सामान्य होते हालात के बीच इलाके में दोबारा मोबाइल सेवा बहाल कर दी गयी है.
Mobile phone services snapped across #JammuAndKashmir since August 5, resumed in five districts of Jammu region- DODA, KISHTWAR, RAMBAN, RAJOURI and POONCH pic.twitter.com/DO6BK3halF
— ANI (@ANI) August 29, 2019
गौरतलब है कि बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद से घाटी में आतंकवादी समूहों द्वारा इंटरनेट सेवा का गलत इस्तेमाल किए जाने की आशंका के मद्देनजर मोबाइल और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया था. उन्होंने कहा था कि जैसे ही हालात सामान्य होने लगेंगे राज्य में ये सेवाएं पूर्ववत बहाल कर दी जायेगी.
विपक्षी पार्टियों ने की थी आलोचना
बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से ही वहां की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार और कुछ विपक्षी पार्टियों के बीच खींचतान देखने को मिला है. कुछ विपक्षी पार्टियों ने घाटी में मोबाइल सेवा बंद करने के फैसले पर सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया दी है. अनंतनाग जिले के एक युवा छात्र ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि पिछले 4 अगस्त के बाद से वो अपने माता-पिता से बात नहीं कर पाया है. उसने सुप्रीम कोर्ट से वहां जाने की इजाजत मांगी थी.
अफवाह से बचाव के लिए लिया फैसला
विपक्षी पार्टियों समेत कई मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवा को बंद करने की काफी आलोचना की है. उऩका कहना है कि वहां के लोगों को कम से कम दुनिया से संपर्क होने का अधिकार होना चाहिए. गौरतलब है कि, एक आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने इस आधार पर इस्तीफा दे दिया कि जिस राज्य के बारे में फैसला लिया गया वहां के लोगों को इस पर प्रतिक्रिया के आधार से भी वंचित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि, चूंकि सेवा में बंधे होने के कारण मैं इस बारे में विचार नहीं रख सकता इसलिए मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है.