नयी दिल्लीः दक्षिण भारत में अपनी जड़ों को मजबूत करना भाजपा के एजेंडे में है और यही वजह है कि पार्टी विरोधी दलों के नेताओं को अपनी और आकर्षित करने और संगठन में नया नेतृत्व लाकर अपनी मौजूदगी को सुदृढ़ करने में जुटी है. पार्टी के एक नेता ने कहा कि तमिलनाडु भाजपा की प्रमुख तमिलसाई सुंदरराजन की तेलंगाना के राज्यपाल पद पर नियुक्ति से द्रविड राज्य में नए नेतृत्व के लिये रास्ता खुलेगा.
भाजपा ने प्रभावशाली नेताओं, खासकर टीडीपी के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने के साथ ही आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में बड़े विस्तार के लिये अभियान चला रखा है. बीते लोकसभा चुनावों के दौरान देश भर में भाजपा को प्रचंड समर्थन मिला लेकिन दक्षिण की बात करें तो कर्नाटक को छोड़कर बाकी दक्षिणी राज्यों में वह उतनी मजबूत नजर नहीं आई.
कर्नाटक में भाजपा काफी समय से मजबूत स्थिति में है. तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में भाजपा के खाते में एक भी लोकसभा सीट नहीं आई जबकि इन राज्यों 84 संसदीय क्षेत्र हैं. आंध्र प्रदेश में 2014 की दो सीटों के मुकाबले इस बार लोकसभा चुनावों में पार्टी का खाता भी नहीं खुला हालांकि तेलंगाना में जरूर उसने अपनी स्थिति मजबूत की और 2014 में एक सीट के मुकाबले चार सीटें जीतीं.
इसके बाद से ही भाजपा यहां सत्ताधारी टीआरएस को मजबूत चुनौती देने के लिये तेलंगाना में कई विरोधी नेताओं को पार्टी में शामिल कर रही है. भाजपा ने आंध्र प्रदेश में भी ऐसी ही कवायद शुरू की है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने भाषा को बताया कि देश भर में कांग्रेस और वाम दलों की खराब होती स्थिति ने भाजपा के लिये ऐसी स्थिति तैयार की है जिससे केरल जैसे राज्यों में भी वह बढ़त हासिल करे.
उन्होंने कहा कि भाजपा यह भी मानती है कि तमिलनाडु में दो दिग्गज नेताओं जयललिता और एम करुणानिधि के निधन के बाद एक “राजनीतिक निर्वात” की स्थिति है. भाजपा नेता ने कहा कि वहां गुंजाइश है. यह अब हम पर है कि हम खुद को वहां एक सक्षम ताकत के तौर पर पेश करें. स्थानीय नेतृत्व की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी.