ब्यूरो, नयी दिल्ली
स्कूलों में मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है. अक्सर मिड डे मील योजना के तहत खाने की शिकायतें आने के बाद केंद्र सरकार इसे लेकर सोशल ऑडिट कराने पर विचार कर रही है. इसके तहत खाद्य पदार्थों के सरकारी खरीद, निगरानी, पौष्टिकता, छात्रों में खाने को लेकर संतुष्टि का स्तर पता लगाया जायेगा.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय स्कूलों में बच्चों को दिये जाने वाले खाने की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए यह कदम उठाने पर विचार कर रही है. सूत्रों का कहना है कि सरकार इन शिकायतों को दूर करने के लिए 11.3 लाख स्कूलों में खाने की सोशल ऑडिटिंग इस महीने के अंत तक शुरू कर देगी.
केंद्र सरकार की 11 हजार करोड़ की मिड डे मील योजना की औचक सोशल ऑडिटिंग करने की योजना बना रही है और इसमें देश के सभी जिलों के स्कूलों का औचक निरीक्षण कर ऑडिटिंग की जायेगी. इसके अलावा मंत्रालय स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता की सतत निगरानी के लिए कॉर्डिनेटर नियुक्त करने की योजना बना रहा है.
कॉर्डिनेटर के जिम्मे आसपास के स्कूलों का जिम्मा होगा और ये अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेंगे. इस दिशा में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखा है, जिसमें मिड डे मील और समग्र शिक्षा अभियान की निगरानी के लिए कॉर्डिनेटर नियुक्त करने को कहा है. मौजूदा समय में इस योजना की निगरानी के लिए स्वतंत्र तौर पर कोई व्यवस्था नहीं है. अब निगरानी के लिए एक मोबाइल एप भी बनाया जा रहा है.
इस एप पर कॉर्डिनेटर और स्कूल के प्रिंसिपल को रोजाना परोसे जाने वाले खाने का अपडेट देना होगा. मंत्रालय का मानना है कि खाने की गुणवत्ता बेहतर होने से बच्चों का कुपोषण दूर होगा और ड्राप रेट में भी कमी आयेगी. गौरतलब है कि मिड डे मील के तहत लगभग 10 करोड़ बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाता है और यह विश्व की सबसे बड़ी योजनाओं में शुमार है.