भारत ही नहीं बल्कि इन देशों में भी लोकप्रिय है ”हिन्दी”, 150 विश्वविद्यालयों में पढ़ी और पढ़ाई जाती है
नयी दिल्ली: शनिवारयानी 14 सितंबर को देश भर के अलग-अलग हिस्सों में हिन्दी दिवस मनाया जाएगा. इस प्रथा की शुरुआत देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी. उनका मानना था कि हिन्दी को सर्वव्यापी बनाने के लिए ये पहल जरूरी है. हिन्दी दिवस पहली बार 14 सितंबर 1953 को मनाया गया […]
नयी दिल्ली: शनिवारयानी 14 सितंबर को देश भर के अलग-अलग हिस्सों में हिन्दी दिवस मनाया जाएगा. इस प्रथा की शुरुआत देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी. उनका मानना था कि हिन्दी को सर्वव्यापी बनाने के लिए ये पहल जरूरी है. हिन्दी दिवस पहली बार 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था. इससे पहले 14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान में हिन्दी को अंग्रेजी के साथ आधिकारिक राजभाषा के तौर पर शामिल किया गया था.
हर साल हिन्दी दिवस मनाए जाने का फैसला जवाहरलाल नेहरू ने इसलिए लिया था क्योंकि तात्कालीन समय में इसे सर्वमान्य भाषा के तौर पर अपनाए जाने को लेकर कई प्रांतो, पक्षों और लोगों में मतभेद थे. पंडित नेहरू की मंशा थी कि इसे लोगों पर थोपने की बजाय लोगों को हिन्दी के प्रति जागरुक किया जाए.
वैश्विक जगत में बढ़ता जा रहा है हिन्दी का प्रभाव
आशंका भले ही जताई जाती रहे कि हिन्दी संकट के दौर से गुजर रही है लेकिन हकीकत ये है कि वैश्वीकरण के इस दौर में जब पूरा विश्व एक गांव बन रहा है और विभिन्न देशों में व्यापारिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक निकटता आ रही है, हिन्दी का महत्व बढ़ गया है और शायद जरूरत भी.
जहां पहले हिन्दी को केवल उत्तर-भारत के कुछ राज्यों मसलन, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात में बोलचाल की भाषा के तौर पर देखा जाता है वहीं अब ये तकरीबन पूरे भारत में प्रमुख संपर्क भाषा के तौर पर काम कर रही है.
उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने बताया था अपना अनुभव
हाल ही में उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू का एक व्यक्तव्य याद आ जाता है जो उन्होंने प्रभात खबर के 35वें स्थापना दिवस समारोह के मौके पर कहा था. वैंकेया नायडू ने हिन्दी भाषा को लेकर अपने बचपन से जुड़े एक दिलचस्प वाकये का जिक्र किया था.
उन्होंने कहा कि ‘जब मैं छात्र हुआ करता था तो दक्षिण भारत में हिन्दी विरोध का आंदोलन जोरों पर था. हमने भी इसके खिलाफ प्रोटेस्ट करना तय किया. हमने सोचा कि वो कौन सी जगह होगी जहां हिन्दी में कुछ लिखा होगा. हमें दो ही ऐसी जगह मिली जहां हिन्दी में कुछ लिखा था. रेलवे स्टेशन और डाक घर. हमने इन पर कालिख पोत दी’.
‘कुछ सालों बाद मैं बीजेपी नेता के तौर दिल्ली आया. कुछ ही दिनों में मुझे समझ आ गया कि मैंने उस दिन उन पोस्टरों पर नहीं बल्कि अपने चेहरे पर कालिख पोती थी. क्योंकि हिन्दीभाषी नहीं होने के कारण दिल्ली में काम कर पाना बहुत मुश्किल आ रही थी’.
हिन्दी केवल भाषा ही नहीं बल्कि व्यापारिक जरूरत भी
उपराष्ट्रपति की इस बात से हिन्दी की महत्ता स्पष्ट हो जाती है. ना केवल भारत बल्कि दुनिया के अधिकांश देशों ने इस बात को समझ लिया है. हाल के दिनों में भारत वैश्विक परिदृश्य में वृहद आर्थिक, और राजनीतिक शक्ति के तौर पर उभरा है. इसलिए सभी देशों के लिए ये जरूरी हो गया कि वे हिन्दी को अपनाएं और उन्होंने अपनाया है.
वो देश जहां प्रमुखता से बोली जाती है राष्ट्रभाषा हिन्दी
विदेशों में हिन्दी भाषा तो उसी दिन प्रवेश कर गई थी जब औपनिवेशिक काल के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी बड़ी संख्या में भारतीयों को गुलामों के तौर पर बागानों में काम कराने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, वेस्टइंडीज, सहित दक्षिण एशिया के द्वीपीय देशों, मसलन थाईलैंड, कम्बोडिया, फिजी, मॉरीशस, आदि देशों में ले गई थी. इन भारतीयो के साथ यहां की सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्था तो गई ही, भाषा भी पहुंची.
कुछ प्रमुख देश हैं जहां दशकों से हिन्दी भाषा पूरी मजबूती से खड़ी है. फिजी एक प्रशांत महासागरीय द्वीपीय देश हैं. यहां हिन्दी आधिकारिक भाषाओं में से है. यहां हिन्दी को फिजियन हिन्दी या फिजियन हिन्दुस्तानी कहा जाता है. फिजी में हिन्दी अवधि और भोजपुरी जैसी बोलियों के मिश्रण से बनी भाषा की तरह बोली जाती है. हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान उर्दू और पंजाबी के साथ हिन्दी भी प्रमुखता से बोलता है.
इसका कारण है कि ब्रिटिश राज के दौरान बिहार और यूपी से बड़ी संख्या में लोगों को यहां कामगारों के तौर पर ले जाकर बसाया गया था. उसी प्रकार सूरीनाम में भी बड़ी संख्या में लोग हिन्दी भाषा बोलते हैं. इसको यहां सुरीनामी हिन्दी बोलते हैं जिसमें भोजपुरी का पुट होता है.
त्रिनिदाद और टोबैगो वेस्टइंडीज द्वीपीय देश का एक महत्वपूर्ण प्रांत हैं. ब्रिटिश राज के दौरान यहां बिहार यूपी और एमपी से बड़ी संख्या में भारतीयों को लेकर बसाया गया. यहां भी लोग भोजपुरी और अवधी से मिलती हुई भाषा का प्रयोग करते हैं जिसे लोग त्रिनिदादी हिन्दी के नाम से जानते हैं.
अफ्रीका में बड़ी संख्या में हिन्दीभाषी लोग निवास करते हैं और अब तो वहां के स्थानीय निवासी हो गए हैं. औपनिवेशिक शासन के दौरान बड़ी संख्या में भारतीय यहां व्यापारी या फिर कामगारों के तौर पर जाकर बस गए थे. इनमें से गुयाना काफी अहम है. यहां लोग हिन्दी के जिस प्रकार का उपयोग करते हैं उसे गुयानीज हिन्दी कहा जाता है. ये भारतीय मूल के लोगों की प्रमुख भाषाओं में से एक है.
सांस्कृतिक समानता के लिहाज से मॉरीशस को दूसरा हिन्दुस्तान कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. यहां बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं या फिर ये कहें कि नब्बे फीसदी जनसंख्या भारतीय मूल की ही है. ब्रिटिश राज के दौरान यहां भी भारतीय कामगारों को ले जाया गया था. भोजपुरी और अवधि के साथ हिन्दी यहां बोली जाने वाली सबसे अहम भाषा है. बड़ी संख्या में लोग यहां हिन्दी बोलते हैं. वहीं पड़ोसी मुल्क नेपाल में ऑफिशियल भाषा तो नेपाली है लेकिन यहां नेपाली के अलावा मैथिली, भोजपुरी और हिन्दी बोली जाती है.
वहीं सिंगापुर में माले और अंग्रेजी यहां की आधिकारिक भाषा है लेकिन यहां तमिल, मेंड्रेन के साथ हिन्दी भी प्रमुखता से बोली जाती है. हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने सिंगापुर दौरे के समय कहा था कि सिंगापुर हमारा महत्वपूर्ण साझेदार है. ना केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी.
हिन्दी को यूएन की आधिकारिक भाषा बनाने की कवायद
हिन्दी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत सरकार काफी समय पहले से ही इसे संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रयास कर रही है. वैसे देखा जाए तो यूनेस्को की सात भाषाओं में से एक हिन्दी भी है. हिन्दी के बढ़ते प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई भी जा रही है और पढ़ाई भी जा रही है. विभिन्न देशों के तकरीबन 91 विश्वविद्यालयों में ‘हिन्दी चेयर’ बनाया गया है.
जानें किन देशोें में कितने लोग बोलते हैं हिन्दी
हिन्दुस्तान से बाहर हिन्दीभाषी लोगों की कुल जनसंख्या की बात की जाए तो संयुक्त राज्य अमेरिका में कुल 6 लाख 48 हजार 983 लोग हिन्दी बोलते हैं. मॉरीशस में 6 लाख 85 हजार 170 लोग हिन्दीभाषी हैं. अफ्रीका में हिन्दी बोलने वालों की कुल संख्या आठ लाख नब्बे हजार दो सौ बयानवे है. खाड़ी देश यमन में 2 लाख 32 हजार 760 लोग हिन्दी बोलते हैं.
जहां युगांडा में 1 लाख 47 हजार लोग हिन्दीभाषी हैं तो वहीं सिंगापुर में तकरीबन पांच हजार लोग हिन्दी बोलते हैं. नेपाल में 8 लाख, न्यूजीलैंड में 20 हजार और जर्मनी में 30 हजार लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं.