22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का सरकार पर निशाना, बोले- मंत्रियों के ”अटपटे” बयानों से अर्थव्यवस्था का नहीं होगा कल्याण

इंदौर : निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल सरीखे केंद्रीय मंत्रियों के हाल ही में चर्चित बयानों का हवाला देते हुए पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को कहा कि आर्थिक संकट से घिरी घरेलू अर्थव्यवस्था का ऐसे ‘अटपटे’ कथनों से भला नहीं होगा. सिन्हा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सरकार में बैठे लोग […]

इंदौर : निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल सरीखे केंद्रीय मंत्रियों के हाल ही में चर्चित बयानों का हवाला देते हुए पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को कहा कि आर्थिक संकट से घिरी घरेलू अर्थव्यवस्था का ऐसे ‘अटपटे’ कथनों से भला नहीं होगा. सिन्हा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सरकार में बैठे लोग अक्सर अटपटे बयान दे रहे हैं. इन अटपटे बयानों से अर्थव्यवस्था का कल्याण नहीं होगा, लेकिन इनसे सरकार की छवि पर असर जरूर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र की मंदी की पृष्ठभूमि में ओला और उबर जैसी ऑनलाइन टैक्सी सेवा प्रदाताओं को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हालिया बयान पर उन्हें ‘आश्चर्य’ हुआ.

सिन्हा ने सवाल किया कि अगर ओला-उबर जैसी कम्पनियों के चलते यात्री गाड़ियों की बिक्री में गिरावट आयी, तो फिर दोपहिया वाहनों और ट्रकों की बिक्री में गिरावट क्यों आयी? सिन्हा ने भाजपा के दो अन्य मंत्रियों के बयानों का उल्लेख करते हुए तंज किया कि बिहार के वित्त मंत्री (सुशील कुमार मोदी) कह रहे हैं कि सावन-भादो के चलते देश में मंदी का माहौल है. केंद्र के एक मंत्री (वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल) आइंसटीन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के बारे में बात कर रहे हैं.

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए दुबई शॉपिंग फेस्टिवल की तर्ज पर भारत में सालाना मेगा शॉपिंग फेस्टिवल आयोजित करने की सीतारमण की ताजा घोषणा पर भी पूर्व वित्त मंत्री ने सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात और भारत की अर्थव्यवस्थाओं के हालात अलग-अलग हैं. भारत की अर्थव्यवस्था तभी तरक्की करेगी, जब मध्यप्रदेश के मंदसौर जैसे इलाकों के किसान तरक्की करेंगे.

सिन्हा ने यह भी कहा कि गुजरे वर्षों में समय रहते सुधार के कदम नहीं उठाये जाने से देश को मौजूदा आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि हमें कम से कम आठ फीसदी की दर से विकास करना चाहिए था, लेकिन मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर घटकर पांच प्रतिशत पर आ गयी. पूर्व वित्त मंत्री ने दावा किया कि जीडीपी विकास दर में तीन फीसदी के इस अंतर से केवल एक तिमाही में देश की आमदनी में छह लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की सरकार की नयी योजना को लेकर पूछे गये सवाल पर कहा कि मैं सरकारी बैंकों के विलय का विरोधी नहीं हूं, लेकिन बैंकों के विलय से इनके फंसे कर्जों (एनपीए) में अपने आप कमी नहीं आयेगी. सरकार की मौजूदा योजना के कारण संबंधित बैंकों का प्रशासन अपने मूल काम छोड़कर विलय प्रक्रिया में लगा रहेगा, जिससे इन संस्थाओं को नुकसान होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें