अयोध्या विवाद : पूर्व लोक सेवक के खिलाफ अवमानना मामला बंद

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मुस्लिमों पक्षकारों के लिए पेश होने को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को आपत्तिजनक पत्र लिखने के कारण, 88 वर्षीय सेवानिवृत्त लोक सेवक के खिलाफ चल रहा अवमानना का मामला बृहस्पतिवार को बंद कर दिया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 19, 2019 12:43 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मुस्लिमों पक्षकारों के लिए पेश होने को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को आपत्तिजनक पत्र लिखने के कारण, 88 वर्षीय सेवानिवृत्त लोक सेवक के खिलाफ चल रहा अवमानना का मामला बृहस्पतिवार को बंद कर दिया.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि एन षणमुगम ने धवन को लिखे पत्र में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए उच्चतम न्यायालय में खेद व्यक्त किया. न्यायमूर्ति गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी पीठ में शामिल हैं.

पीठ ने कहा कि सेवानिवृत्त लोकसेवक दोबारा इस प्रकार का काम नहीं करें. धवन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल सेवानिवृत्त लोकसेवक को सजा नहीं दिलवाना चाहते हैं, लेकिन देश में सभी को यह संदेश भेजा जाना चाहिए कि किसी भी पक्ष के लिए पेश हुए किसी भी वकील को डराया नहीं जाना चाहिए. षणमुगम की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह धवन को लिखे पत्र में इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करने को लेकर खेद व्यक्त कर रहे है.

न्यायालय ने धवन की अवमानना याचिका पर षणमुगम को तीन सितंबर को नोटिस जारी किया था. षणमुगम ने एक पत्र में धवन को कथित रूप से डराने की कोशिश करते हुए कहा था कि ‘भगवान राम’ के खिलाफ मुस्लिम पक्षकारों की ओर मामला रखने के कारण उन्हें कोई शारीरिक परेशानी हो सकती है.

Next Article

Exit mobile version