मुंबई : बंबई हाईकोर्ट ने देह व्यापार गिरोह से मुक्त करायी गयी नाबालिग को उसके माता-पिता को सौंपने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि इस बात का अंदेशा है कि वे उसे वेश्यावृति में ढकेल सकते हैं या उसके भविष्य में ऐसी अवैध गतिविधियों में शामिल होने की आशंका को भी खारिज नहीं किया जा सकता है. न्यायमूर्ति एसएस शिंदे ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के रहने वाले लड़की के माता-पिता की याचिका को खारिज कर दिया. उन्होंने 16 साल की बेटी को उन्हें सौंपने का अनुरोध किया था.
पुलिस ने देह व्यापार के एक गिरोह का भंडाफोड़ कर मार्च, 2017 में एक होटल से इस लड़की को बचाया था. फिलहाल, यह लड़की मुंबई के मानखुर्द के बाल गृह परिसर में रह रही है. मई 2017 में उसके माता-पिता ने सत्र अदालत का रुख कर अनुरोध किया था कि लड़की को उन्हें सौंप दिया जाये. उन्होंने दावा किया था कि उनकी बेटी अपनी बहन से मिलने के लिए मुंबई आयी थी और पुलिस ने उसे पकड़ लिया.
बाल कल्याण समिति ने अपनी रिपोर्ट में अदालत को सलाह दी थी कि वह लड़की को उसके माता-पिता को नहीं सौंपें. अदालत ने रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था और निर्देश दिया था कि वह 18 साल की होने तक मानखुर्द के बाल गृह में रहेगी. इसके बाद वह अपने माता-पिता के पास लौट सकती है. इसके बाद माता-पिता ने बंबई हाईकोर्ट का रुख कर सत्र अदालत के आदेश को चुनौती दी.
हाईकोर्ट ने कहा कि सत्र अदालत का आदेश कानूनी रूप से सही है. हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता के माता-पिता ने दावा किया है कि उनके पास जीविका के लिए पर्याप्त साधन हैं. बावजूद इसके अगर लड़की को उन्हें सौंप दिया जाता है, तो उसके ऐसी गतिविधियों में शामिल होने का आंदेशा रहेगा और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वे उसे इसमें (देह व्यापार) भेज सकते हैं.