काॅरपोरेट कर में कटौती पर बोली कांग्रेस : मोदी सरकार ‘इकनॉमिक मैनेजमेंट” नहीं, ‘इवेंट मैनेजमेंट” कर रही

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने ‘काॅरपोरेट कर’ की दर कम किये जाने के सरकार के कदम पर सवाल खड़े करते हुए शुक्रवार को दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ‘इकनॉमिकट मैनेजमेंट’ नहीं, बल्कि ‘इवेंट मैनेजमेंट’ कर रही है तथा अपने दूसरे कार्यकाल में देश के लिए ‘आर्थिक एवं राजनीति विपत्ति’ लेकर आयी है. पार्टी के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2019 9:20 PM

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने ‘काॅरपोरेट कर’ की दर कम किये जाने के सरकार के कदम पर सवाल खड़े करते हुए शुक्रवार को दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ‘इकनॉमिकट मैनेजमेंट’ नहीं, बल्कि ‘इवेंट मैनेजमेंट’ कर रही है तथा अपने दूसरे कार्यकाल में देश के लिए ‘आर्थिक एवं राजनीति विपत्ति’ लेकर आयी है.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि सरकार का यह कदम डगमगाते सेंसेक्स बाजार को संभालने के लिए है, जबकि इससे अर्थव्यवस्था मंदी की मार से बाहर नहीं निकलने वाली है क्योंकि मध्यम वर्ग और वेतनभोगी लोगों को कोई राहत नहीं दी गयी है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, अर्थव्यवस्था मंदी की मार से डूब रही है, नौकरियां जा रही हैं और फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं. लेकिन, सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि सबकुछ ठीक है. सुरजेवाला ने आरोप लगाया, दूसरे कार्यक्रम में मोदी सरकार राजनीतिक और आर्थिक विपत्ति लेकर आयी है. वित्त मंत्री और उनके सहयोगियों के पास बीमार अर्थव्यवस्था के लिए न दवाई है और न कोई सुझाव है. यह सरकार एक कदम आगे और चार कदम पीछे चलती है. उन्होंने यह भी कहा, मुझे खेद से कहना पड़ रहा है कि प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था को नौसिखयों की तरह चला रहे हैं.

सुरजेवाला ने दावा किया, काॅरपोरेट जगत को 1.45 लाख करोड़ रुपये की छूट दी गयी है. यह सिर्फ डगमगाते सेंसेक्स को संभालने के लिए किया गया है. उन्होंने सवाल किया, प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बतायें कि 1.45 लाख करोड़ रुपये की भरपाई कहां से होगी? क्या मध्यम वर्ग, किसानों और छोटे कारोबरियों पर तरह तरह के कर लगाकर इसकी भरपाई की जायेगी? वित्तीय घाटा बढ़ेगा और उसको पूरा करने के लिए आपके पास क्या योजना है? महंगाई पर काबू पाने के लिए क्या उपाय है? सुरजेवाला ने यह भी पूछा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बजट की पूरी प्रक्रिया का मजाक क्यों बना रहे हैं? 45 दिनों के भीतर बजट की घोषणाओं को खारिज कर दिया, या फिर संशोधन कर दिया. संसदीय प्रणाली की ऐसी अहवेलना क्यों की गयी? उन्होंने यह सवाल भी किया, वेतनभोगी वर्ग और मध्यम वर्ग को कर रियायत से उपेक्षित क्यों रखा गया? छोटे कारोबारियों को राहत क्यों नहीं दी गयी? क्या केवल काॅरपोरेट कर में राहत देने से मंदी दूर हो जायेगी?

कांग्रेस नेता ने कहा कि इसलिए प्रधानमंत्री जी और वित्त मंत्री जी को यह जानना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था चलती है ईमानदार सरकार के निर्णयों और कुशल नेतृत्व से, जिसका इस सरकार में अभाव है. उन्होंने आरोप लगाया, यह सरकार इवेंट मैनेजमैंट करती है, आर्थिक मैनेजमेंट करती है. मंदी और तालाबंदी भाजपा का मूलमंत्र है. यह देश इवेंट मैनेजमेंट से नहीं, बल्कि इकनॉमिक मैनेजमेंट से चलेगा. यह बात जिस दिन प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री समझ जायेंगे उस दिन लोग मंदी और तालाबंदी से निजात पा लेंगे. इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, पिछले बजट के तीन महीनों के बाद और आगामी बजट के चार महीने पहले मोदी सरकार ने काॅरपोरेट कर की दर में कटौती की है. इस कदम का स्वागत है, लेकिन इस पर संदेह है कि इससे निवेश की स्थिति बेहतर हो जायेगी.

गौरतलब है कि सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए शुक्रवार को कई बड़ी घोषणाएं की. इन घोषणाओं में कंपनियों के लिये आयकर की दर करीब 10 प्रतिशत घटाकर 25.17 प्रतिशत करना तथा नयी विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर घटाकर 17.01 प्रतिशत करना शामिल है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये घोषणाएं उस वक्त की हैं जब चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर छह साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गयी है. इन घोषणाओं से निवेश को प्रोत्साहन मिलने तथा रोजगार सृजन को गति मिलने की उम्मीद है.

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