कश्मीर में स्थिति सामान्य, फारूक अब्दुल्ला-उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित कई नेता अब भी नजरबंद
श्रीनगर : कश्मीर के अधिकतर हिस्सों से प्रतिबंध हटा दिये गये हैं, लेकिन कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा इलाके में कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए एहतियाती तौर पर यह अब भी जारी है. अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को घाटी के कई इलाकों में नए सिरे से प्रतिबंध लगाये गये थे. बड़ी मस्जिदों तथा […]
श्रीनगर : कश्मीर के अधिकतर हिस्सों से प्रतिबंध हटा दिये गये हैं, लेकिन कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा इलाके में कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए एहतियाती तौर पर यह अब भी जारी है. अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को घाटी के कई इलाकों में नए सिरे से प्रतिबंध लगाये गये थे. बड़ी मस्जिदों तथा धार्मिक स्थलों में बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठे होने के दौरान निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा मौके का फायदा उठाने के संदेह के चलते यह कदम उठाया गया.
अधिकारियों ने बताया कि कश्मीर के अधिकतर इलाकों में प्रतिबंधों में ढील दी गयी है. उन्होंने बताया कि उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में हंदवाड़ा के अधिकतर इलाकों में अब भी प्रतिबंध जारी हैं.अधिकारियों ने बताया कि कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियाती तौर पर सीआरपीसी की धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाये गये हैं. केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने के बाद आज 48वें दिन भी घाटी के अधिकतर इलाकों में मोबाइल तथा इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं और वहीं संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बल अब भी तैनात हैं.
घाटी के अधिकतर इलाकों में चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंद्ध हटाए जा रहे हैं. नौहट्टा में जामिया मस्जिद तथा हजरतबल में दरगाह शरीफ सहित कई बड़ी मस्जिदों एवं धार्मिक स्थल पर अब भी जुमे की नमाज की अनुमति नहीं है. अधिकारियों ने बताया कि घाटी में लगातार 48वें दिन बाजारों के बंद रहने और सार्वजनिक वाहनों के सड़कों से नदारद रहने के साथ ही जनजीवन प्रभावित रहा. उन्होंने बताया कि सभी मंचों पर इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित हैं.
अधिकारियों ने बताया कि पूरी घाटी में लैंडलाइन सेवाएं चालू हैं, जबकि मोबाइल पर ‘वॉइस कॉल’ सेवाएं पुलिस जिलों कुपवाड़ा और हंदवाड़ा में ही शुरू की गयी हैं. राज्य सरकार द्वारा स्कूलों को खोलने के प्रयास अभी तक रंग नहीं लाए हैं, माता-पिता अब भी सुरक्षा कारणों से बच्चों को घर से बाहर भेजने को तैयार नहीं हैं. पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई मुख्य धारा के नेता अब भी नजरबंद या हिरासत में हैं.