नयी दिल्ली : मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश वीके ताहिलरमाणी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया लिया गया है. एक सरकारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गयी. अधिसूचना में बताया गया है कि उनका इस्तीफा छह सितंबर से प्रभावी रूप से स्वीकार हो गया.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के कोलेजियम ने उनका तबादला मेघालय होने पर पुनर्विचार करने के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया था जिसके बाद न्यायाधीश ने इस्तीफा दे दिया. एक अन्य अधिसूचना में बताया गया है कि न्यायमूर्ति वी कोठारी को मद्रास उच्च न्यायालय का कार्यवाहक न्यायाधीश नियुक्त किया गया है. न्यायमूर्ति ताहिलरमाणी का मद्रास उच्च न्यायालय से मेघालय उच्च न्यायालय में तबादले को लेकर चेन्नई सहित उनके गृह राज्य महाराष्ट्र के वकीलों ने उच्चतम न्यायालय के कोलेजियम के फैसले का विरोध किया. इसके बाद 12 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों एवं न्यायाधीशों के तबादले की प्रत्येक अनुशंसा ठोस वजहों पर आधारित होती है.
न्यायमूर्ति ताहिलरमाणी का नाम लिये बगैर ही उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल संजीव एस कलगांवकर के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि न्यायाधीशों के तबादले के कारणों का खुलासा संस्थान हित में नहीं किया जाता, लेकिन शीर्ष अदालत का कोलेजियम, ऐसी परिस्थितियों में जहां यह जरूरी हो जायेगा, इसका खुलासा करने से नहीं हिचकिचायेगा. यह बयान मीडिया में चल रही खबरों और न्यायमूर्ति ताहिलरमाणी के तबादले पर लगायी जा रही अटकलों की पृष्ठभूमि में जारी किया गया था. दरअसल न्यायमूर्ति ताहिलरमाणी ने कोलेजियम द्वारा उनके तबादले के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध खारिज किये जाने के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा था जिसकी एक प्रति प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को भी भेजी गयी थी.
उनके तबादले को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय और बंबई उच्च न्यायालय के वकीलों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किये हैं. सेक्रेटरी जनरल द्वारा जारी बयान में कहा गया था, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों/ न्यायाधीशों के तबादले के संबंध में कोलेजियम द्वारा हाल में की गयी अनुशंसाओं से जुड़ी कुछ खबरें मीडिया में आयी हैं. बयान में कहा गया, निर्देशानुसार, यह स्पष्ट किया जाता है कि तबादले की प्रत्येक अनुशंसा ठोस कारणों पर आधारित होती है जो न्याय के बेहतर प्रशासन के हित में जरूरी प्रक्रिया का अनुपालन करने के बाद की जाती है. बयान में कहा गया है, भले ही तबादले के कारणों का खुलासा संस्थान के हित में नहीं किया जाता हो, लेकिन अगर जरूरी लगा, तो कोलेजियम को इसको सार्वजनिक करने में कोई संकोच नहीं होगा. बयान में कहा गया कि प्रत्येक अनुशंसा पूर्ण विचार-विमर्श” के बाद की जाती है और इस मामले में कॉलेजियम ने सर्वसम्मति जतायी.
प्रधान न्यायाधीश गोगोई की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने न्यायमूर्ति ताहिलरमाणी का तबादला मेघालय उच्च न्यायालय में करने की अनुशंसा की थी. उन्हें पिछले साल आठ अगस्त को उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था. कोलेजियम ने 28 अगस्त को उनके तबादले की अनुशंसा की थी जिसके बाद उन्होंने एक प्रतिवेदन देकर प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था. उन्होंने मेघालय उच्च न्यायालय में उनका तबादला किए जाने के खिलाफ अनुरोध पर विचार नहीं करने के कोलेजियम के फैसले का विरोध किया था. शीर्ष अदालत कोलेजियम ने अनुशंसा की थी कि मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके मित्तल को मद्रास उच्च न्यायालय स्थानांतरित किया जाये. कोलेजियम में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन भी शामिल हैं. न्यायमूर्ति ताहिलरमाणी को 26 जून, 2001 को बंबई उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. वह दो अक्तूबर, 2020 में सेवानिवृत्त होने वाली थीं.