Video में देखें, ओड़िशा ने दी पहली महिला आदिवासी पायलट
नयी दिल्ली : ओड़िशा के आदिवासी बहुल जिले सुंदरगढ़ के मलकानगिरी तक जाने का तरीका खोजें, तो पता चलता है कि वह इलाका हवाई संपर्क तो दूर, रेल मार्ग तक से नहीं जुड़ा है. ऐसे में अगर वहां की किसी आदिवासी लड़की के हौसलों की उड़ान उसे कमर्शियल पायलट बना दे, तो बात हैरानी की […]
नयी दिल्ली : ओड़िशा के आदिवासी बहुल जिले सुंदरगढ़ के मलकानगिरी तक जाने का तरीका खोजें, तो पता चलता है कि वह इलाका हवाई संपर्क तो दूर, रेल मार्ग तक से नहीं जुड़ा है. ऐसे में अगर वहां की किसी आदिवासी लड़की के हौसलों की उड़ान उसे कमर्शियल पायलट बना दे, तो बात हैरानी की हदों से कहीं आगे निकल जाती है.
मलकानगिरी का इलाका माओवाद से प्रभावित है और पुलिस कांस्टेबल की बेटी अनुप्रिया लकड़ा इस क्षेत्र की पहली आदिवासी महिला पायलट हैं. वर्ष 2012 में भुवनेश्वर के एक प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान को छोड़कर पायलट प्रशिक्षण संस्थान में पढ़ाई करने वाली अनुप्रिया जल्दी ही अपनी पहली कमर्शियल उड़ान के लिए तैयार हैं. वह अपने समुदाय की बहुत-सी लड़कियों के सपनों को पंख देने वाली हैं.
ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लोगों से कहा है कि वह अपनी बेटियों को अनुप्रिया जैसी बनायें. उन्हें बड़े सपने देखने के लिए खुला आसमान दें और फिर उनके सपनों को पूरा करने की प्रेरणा और हौसला भी दें. अब ओड़िशा की बात करें, तो इसकी कुल आबादी 4.2 करोड़ है, जहां 22.95 प्रतिशत आदिवासी आबादी है.
राज्य का मलकानगिरी जिला आदिवासी बहुल इलाका है, जहां आदिवासियों की आबादी 57.4 प्रतिशत है. ओड़िशा में साक्षरता की दर 73 प्रतिशत है, लेकिन इनमें आदिवासी महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 41.20 प्रतिशत है. इन तमाम आंकड़ों में अनुप्रिया की उपलब्धि उसके कठिन परिश्रम और सीमित संसाधनों के बावजूद आसमान को छू लेने की जिद की कहानी बयान करती है.
ओड़िशा पुलिस में कांस्टेबल मारिनियस लकड़ा और जमाज यासमीन लकड़ा के घर जन्मी अनुप्रिया ने मलकानगिरी में एक कॉन्वेंट से मैट्रिक की पढ़ाई की और उसके बाद निकटवर्ती कोरापुट जिले के सेमिलिगुड़ा से उच्चतर माध्यमिक स्तर की शिक्षा ग्रहण की.
भुवनेश्वर के एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में अनुप्रिया को दाखिला मिला, तो उसके माता-पिता को लगा कि अब लड़की जल्द इंजीनियर बनकर अपने पैरों पर खड़ी हो जायेगी. उन्हें उस समय भी अपनी बच्ची की उपलब्धि पर गर्व होता था, लेकिन उनकी बेटी के जेहन में कुछ और ही सपने आकार ले रहे थे.
उसे पायलट बनना था और उसने इंजीनियरिंग कॉलेज में कुछ महीने गुजारने के बाद अपना रास्ता बदल लिया. भुवनेश्वर के ही सरकारी उड्डयन प्रशिक्षण संस्थान (गति) में दाखिला ले लिया. लकड़ा के पिता के लिए अपनी बेटी को ‘गति’ में पढ़ाना आसान नहीं था. अक्सर पैसे की तंगी उसके रास्ते की दीवार बनती नजर आती थी, लेकिन कुछ अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और कुछ अपनों की मदद की बदौलत अनुप्रिया इस मुश्किल रास्ते पर आगे बढ़ती चली गयी.
उसने ढेरों परीक्षाएं पास करके कमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल किया. अनुप्रिया की मां जमाज ने विमान को बस आसमान में उड़ते हुए ही देखा है और अब वह यह सोचकर रोमांचित हैं कि उनकी बेटी विमान उड़ायेगी.
आदिवासी नेता और ओड़िशा आदिवासी कल्याण महासंघ के अध्यक्ष निरंजन बिसी ने बताया कि अनुप्रिया कड़ा उरांव जनजाति से हैं और वह मलकानगिरी से ही नहीं, बल्कि पूरे ओड़िशा की पहली महिला हैं, जो मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल करने में सफल रही हैं.
उन्होंने कहा कि अनुप्रिया एक ऐसे जिले से आती हैं, जहां के लोगों ने अब तक रेलवे लाइन नहीं देखी. अब वह अपनी बिटिया को आसमान में उड़ान भरते देखेंगे. उनका कहना था कि एक स्थानीय लड़की का विमान उड़ाना पूरे आदिवासी समाज के लिए गौरव की बात है.