नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और अरविंद केजरीवाल को सुझाव दिया कि आम आदमी पार्टी के नेता के कथित बयान को लेकर गिले शिकवे खत्म करें और व्यापक जनहित में हाथ मिला लें.
न्यायाधीश रेवा खेत्रपाल और एस. पी. गर्ग की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे मुद्दे कभी खत्म नहीं होंगे लिहाजा अच्छा है कि दोनों नेता सहमति से इसका समाधान कर लें और गिले शिकवे खत्म करें. पीठ ने कहा, इसमें कुछ नहीं है, दोनों पक्ष हाथ क्यों नहीं मिला लेते और सहमति से मामले को खत्म कर लेते हैं ? आप लोग गिले शिकवे खत्म क्यों नहीं कर लेते और समय को अधिक सकारात्मक कार्यों में इस्तेमाल करते ?
अदालत ने कहा, आप दोनों मशहूर नेता हैं, लोगों को आपसे उम्मीदें हैं. अदालत की प्रतिक्रिया के बाद दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री की तरफ से उपस्थित हुए वकील शांतिभूषण ने कहा, पहले वह (गडकरी) अदालत गए, इसलिए उनको शिकायत वापस लेने दीजिए लेकिन हम अपना कोई भी बयान या आरोप वापस नहीं लेंगे क्योंकि हमने जो मुद्दे उठाए हैं उसके पूरे सबूत हमारे पास हैं.
उन्होंने कहा, गडकरी हमें आश्वासन दें कि भविष्य में वह इस मामले में केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा नहीं करेंगे. गडकरी की तरफ से अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा, मैं (गडकरी) एक ईमानदार नेता हूं और केजरीवाल द्वारा मेरे खिलाफ लगाए गए अवमाननापूर्ण आरोपों से मेरी छवि को नुकसान हुआ है. केजरीवाल से मेरी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है. उन्होंने अदालत से कहा कि अगर केजरीवाल अपना बयान वापस लेते हैं तो उनका मुवक्किल मामले के समाधान को तैयार है.
उन्होंने कहा, अगर केजरीवाल अपने आरोप वापस लेते हैं तो निश्चित रुप से मैं भी अपना मामला वापस ले लूंगा. लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करते तो मैं भी ऐसा नहीं करुंगा. केजरीवाल ने 30 जनवरी को मीडिया में गडकरी के खिलाफ कथित तौर पर मानहानि वाला बयान दिया था.