नयी दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं. 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान) के एक गांव में जन्म लेने वाले मनमोहन सिंह को देश एक अर्थशास्त्री के रूप में ही ज्यादा याद करता है. उनके जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं. मैं उनके लंबे और स्वस्थ्य जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं.
वर्तमान में मनमोहन सिंह राजस्थान से राज्यसभा के सांसद हैं. वे 1991 में असम से राज्यसभा सदस्य चुने गये. इसके बाद 1995, 2001, 2007 और 2013 में वो फिर राज्यसभा से संसद पहुंचे. लीक से हटकर काम करने वाले मनमोहन सिंह को लोग हमेशा याद करते रहेंगे जो साल 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर काबिज रहे. साल 1991 से 1996 तक मनमोहन सिंह ने भारत के वित्तमंत्री के रूप में काम किया. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह अपनी चुप्पी के कारण विपक्ष के निशाने पर रहे, लेकिन उनकी सादगी का विपक्ष भी दीवाना था.
पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को देश एक अर्थशास्त्री के रूप में ही अधिक याद करता है. केंद्र में जब कांग्रेस की पी.वी. नरसिम्हाराव सरकार बनी तो बतौर वित्त मंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह वित्तीय बजट पेश किया. साल 1991-1995 के दौरान उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने का काम किया.
रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर के तौर पर मनमोहन सिंह ने 1991 में आर्थिक सुधार की दिशा में कई कदम उठाये. यही नहीं बतौर वित्त मंत्री उन्होंने कई ऐसे नियम बदलने का काम किया जो अर्थव्यस्था की रफ्तार में रोड़ा थी. 1991 में जब भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोला गया तो मनमोहन सिंह ही देश के वित्त मंत्री के पद पर काबिज थे. देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत मनमोहन सिंह के हाथों ही हुई.
1991 के नयी आर्थिक उदारीकरण की नीति के कारण ही दुनिया भर के लिए भारत का बाजार खुल गया. 1991 से 96 के बीच में मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों की जो रूपरेखा तैयार की, उसने भारत की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम प्रदान किया. साल 1991 में मनमोहन सिंह ने संसद में बजट पेश किया था, जिसने भारत के लिए आर्थिक उदारीकरण के रास्ते खोलने का काम किया. इस प्रस्ताव में विदेश व्यापार उदारीकरण, वित्तीय उदारीकरण, कर सुधार और विदेशी निवेश का रास्ते को खोलने का सुझाव सम्मिलित था. इसका नतीजा यह हुआ कि सकल घरेलू उत्पाद की औसत वृद्धि दर में बढ़ोतरी नजर आने लगी.
जब वे पीएम पद पर आसीन थे तो एक फैसला उन्होंने काफी बड़ा किया. जी हां, उन्होंने मनरेगा की शुरुआत की. मनरेगा की वजह से ही कई गरीब लोगों को रोजगार मिल पाया. मनरेगा आज भी रोजगार का एक बड़ा स्रोत ग्रामीण क्षेत्रों में है. इसके अलावा 18 जुलाई 2006 में भारत और अमेरिका के बीच परमाणु करार हुआ. भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. ये मनमोहन सिंह की बड़ी उपलब्धियों में से एक है.
यहां चर्चा कर दें कि मनमोहन सिंह ने अपनी उच्च शिक्षा विदेश से प्राप्त की है. केंब्रीज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल करने के बाद उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली थी. वे अपने शिक्षकों का सम्मान करते थे जिसके कारण वे उनके प्रिय बने रहे. छात्रों के बी वे काफी लोकप्रिय थे. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने वाले मनमोहन सिंह ने अर्थशास्त्र में थिसिस जमा की.