नयी दिल्ली : आधार कार्डों को मोबाइल फोन नंबर से जोड़ने के बहाने एक हजार से अधिक लोगों को उनकी गोपनीय सूचनाएं साझा करने के लिए राजी करके उन्हें कथित रूप से ठगने के सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. पुलिस के अनुसार, आरोपी अलीमुद्दीन अंसारी (27) को अजमेर से गिरफ्तार किया गया है, जबकि उसके साथी मनोज यादव को करोल बाग से गिरफ्त में लिया गया.
अंसारी एक ऐसे सिंडीकेट का मास्टरमाइंड है, जो झारखंड के जामताड़ा, गिरिडीह, देवघर, धनबाद और पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान के असंगठित कॉल सेंटरों के मार्फत अपना धंधा चलाता है. द्वारका के राकेश गिलानी द्वारा पुलिस में शिकायत करने के बाद यह मामला सामने आया. राकेश को चार लाख रुपये का चूना लगाया गया था.
पुलिस उपायुक्त (द्वारका) एंटो अल्फोंस ने कहा, ‘पहले, आरोपी किसी दूरसंचार कंपनी के ग्राहक मित्र या बैंक के कर्मचारी के रूप में अपने शिकार (लोगों को) को फोन करते थे. फिर, वे उनका आधार नंबर उनके मोबाइल नंबर से जोड़ने के बहाने उनके उनके डेबिट कार्ड का ब्योरा मांगते थे.’
उन्होंने कहा, ‘और जब शिकार (फंसे हुए व्यक्ति) सारा विवरण दे देता था, तब आरोपी एक संदेश भेजकर उससे कहते थे कि वह उसे ग्राहक मित्र को आगे भेजे. आरोपी फिर उससे कहते थे कि उसका मोबाइल नंबर कुछ समय के लिए बंद हो जायेगा. जब तक शिकार (फंसे हुए व्यक्ति) का फोन नंबर बंद रहता था, तब तक आरोपी नया सिम नंबर चालू करवा लेते थे.’
पुलिस के अनुसार, इस तरह आरोपी बैंक खाता के विवरण और अन्य संभावित क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बना लेते थे, जहां मोबाइल नंबर ओटीपी या अन्य सुरक्षा पासवर्ड पाने के लिए उपयोग में लाया जाता है. कुछ ही मिनट में आरोपी अपने शिकार की जानकारी के बगैर मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से विनिमय कर लेते थे.
पुलिस उपायुक्त के अनुसार, आरोपियों ने विभिन्न बैंक खातों से 10 करोड़ रुपये से अधिक की रकम चंपत कर दी. पूछताछ के दौरान अंसारी ने यह भी खुलासा किया कि फर्जी खाते भारी कमीशन पर अन्य धोखेबाजों को भी आउटसोर्स किये जाते थे. यादव को हर खाते पर 12,000 रुपये मिलते थे. यादव गरीब लोगों को निशाना बनाता था और प्रति खाते 2,000 रुपये की पेशकश करता था. वह उन्हें बैंक खाता विवरण देने के लिए लालच देता था और उनका पता बदल देता था.
अधिकारी के अनुसार, इस गिरोह ने 1,100 खातों का जुगाड़ कर लिया, जो धोखे से हड़पी गयी राशि का अंतरण करने के लिए फर्जी पते पर खोले गये.