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दिल्‍ली के रिहायशी इलाकों में बंद होंगे फिटनेस सेंटर्स, कोर्ट की कमेटी के आदेश से जिम मालिक परेशान

नयी दिल्लीः राष्ट्रीय राधानी दिल्ली में रेस्तरां और दुकानों के बाद अब सीलिंग का संकट जिम और योग सेंटरों पर आ गया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनीटरिंग कमेटी ने दिल्‍ली में 12 अगस्‍त, 2008 के बाद खोले गए फिटनेस सेंटर, जिम और योग-ध्‍यान केंद्रों को बंद करने के निर्देश दिए हैं. इस आदेश के […]

नयी दिल्लीः राष्ट्रीय राधानी दिल्ली में रेस्तरां और दुकानों के बाद अब सीलिंग का संकट जिम और योग सेंटरों पर आ गया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनीटरिंग कमेटी ने दिल्‍ली में 12 अगस्‍त, 2008 के बाद खोले गए फिटनेस सेंटर, जिम और योग-ध्‍यान केंद्रों को बंद करने के निर्देश दिए हैं. इस आदेश के बाद जिससे जिम मालिक परेशान हैं. उनका कहना है कि अगर ऐसा होता है तो वे बेरोजगार हो जाएंगे और यह पीएम मोदी की अगुवाई में हाल ही में शुरू हुए ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ के भी खिलाफ है.

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी का यह फैसला 24 सितंबर को आया, जिसके बाद फिटनेस सेंटर्स की ओर से 30 सितंबर को इस मामले में शीर्ष अदालत में याचिका दी गई है. कहा गया है कि दिल्‍ली में करीब 5000 जिम हैं, जो सुप्रीम कोर्ट की समिति के आदेश के बाद बंद हो गए तो बड़ी संख्‍या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे.

हालांकि, दिल्ली के तीनों नगर निगमों और दिल्ली विकास प्राधिकरण( एमसीडी) का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश का अध्ययन कर रहे हैं, फिलहाल कोई कार्रवाई का फैसला नहीं हुआ है. लेकिन, मॉनीटरिंग कमेटी के आदेश ने निगमों को परेशानी में जरूर डाल दिया है, क्योंकि इस आदेश के तहत हजारों की संख्या में जिम और योग सेंटर पर कार्रवाई करनी होगी. वहीं जिम और योग सेंटर चलाने वाले लोग निगमों से समाधान निकालने की मांग कर रहे हैं.

कमिटी के सदस्यों का कहना है मास्टरप्लान के नियमों के अनुसार मिक्स्ड लैंड यूज, कमर्शल या नॉन-नोटिफाइड किसी भी रोड पर जिम या योग सेंटर 2008 के कट ऑफ डेट के बाद नहीं खोला जा सकता. लेकिन दिल्ली में ऐसे हजारों फिटनेस सेंटर चल रहे है. एमसीडी अफसरों को यह भी आदेश दिया गया है कि वे दिल्ली में कट ऑफ डेट के बाद बने फिटनेस सेंटर का सर्वे भी करे, ताकि उनकी वास्तविक संख्या का पता चल सके.

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