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यरवडा जेल के गांधी यार्ड में दो अक्टूबर को भजन करेंगे कैदी

पुणे : महाराष्ट्र के पुणे शहर में यरवडा केंद्रीय कारागार के कैदियों का एक समूह बुधवार को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर जेल के गांधी यार्ड में भजन गाएगा. गांधी यार्ड में मशहूर पूना समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. गांधी इस जेल में ‘वंचित वर्गों’ के लिए आरक्षण की मांग को लेकर अनशन […]

पुणे : महाराष्ट्र के पुणे शहर में यरवडा केंद्रीय कारागार के कैदियों का एक समूह बुधवार को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर जेल के गांधी यार्ड में भजन गाएगा. गांधी यार्ड में मशहूर पूना समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. गांधी इस जेल में ‘वंचित वर्गों’ के लिए आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर थे और इस अनशन को खत्म कराने के लिए 24 सितंबर 1932 को डॉ बाबासाहेब आंबेडकर, मदन मोहन मालवीय और अन्य वार्ताकारों के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. गांधी ब्रिटिश सरकार की ‘कम्युनल अवॉर्ड’ की घोषणा का विरोध कर रहे थे, जिसे भारत में बांटो और राज करो का एक जरिया ही माना जाता है.

पूना समझौते पर हस्ताक्षर के बाद गांधी ने अनशन खत्म कर दिया था. यरवडा जेल के जेल अधीक्षक यू टी पवार ने कहा, ‘‘गांधी जी ने स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान यरवडा जेल में काफी समय बिताया. मशहूर ‘पूना समझौता’ भी यहां एक पेड़ के नीचे हुआ था. बापू की 150वीं जयंती के मौके पर हमने दो अक्टूबर को गांधी यार्ड में कई कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है.” उन्होंने बताया कि जेल में कैदियों की एक भजन मंडली है, जो संगीत वाद्य यंत्रों के साथ बुधवार को भजन गाएंगे.
दो साल पहले उप महानिरीक्षक (जेल) पद से सेवानिवृत्त होने वाले राजेंद्र धमाणे ने कहा कि जब वह यरवडा जेल के अधीक्षक थे तो उन्होंने गांधी यार्ड और आम के उस पेड़ को संरक्षित करने की कोशिश की थी, जहां पूना समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. उन्होंने कहा, ‘‘साल 2007 में जब पूना समझौते को 75 साल पूरे हुए तो हमने समझौते पर कुछ दस्तावेज, गांधी जी की दुर्लभ तस्वीरें एकत्रित की थीं, जो तीन बार जेल में बंद रहे. हमने उन्हें गांधी यार्ड में संरक्षित किया.”
धमाणे ने बताया कि उन्होंने एक ऑडियो क्लिप भी तैयार की जिसमें ‘पूना समझौते’ के बारे में बताया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने यहां तक कि जेल में गांधी जी से मिलने आए जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रविष्टियां भी हासिल कीं.” गांधी वंचित वर्गों के लिए अलग निर्वाचक मंडल पर ‘कम्युनल अवार्ड’ के कुछ प्रावधानों के खिलाफ थे.
उन्हें लगता था कि इससे हिंदू समाज विभाजित हो जाएगा और इसलिए उन्होंने जेल में अनशन शुरू कर दिया. वहीं, आंबेडकर वंचित वर्गों के लिए अलग निर्वाचक मंडल के पक्ष में थे. बिगड़ती सेहत के कारण अनशन खत्म करने के लिए गांधी पर जनता का दबाव बढ़ने पर आंबेडकर और उनके बीच एक समझौता हुआ जिसे ‘पूना पैक्ट’ के नाम से जाना जाता है. समझौते के प्रावधानों में वंचित वर्गों के लिए प्रांतीय विधानसभाओं में कुछ सीटें आरक्षित करना भी शामिल था.

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