नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की न्यायिक हिरासत 17 अक्तूबर तक बढ़ा दी.
सीबीआई ने चिदंबरम की न्यायिक हिरासत बढ़ाने का अनुरोध किया था जिसके बाद विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहार ने उन्हें 17 अक्तूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. चिदंबरम (74) ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला देते हुए तिहाड़ जेल में घर का बना खाना मुहैया कराने का अनुरोध किया. सीबीआई ने चिदंबरम को 21 अगस्त को जोर बाग स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था. सीबीआई ने 2007 में बतौर वित्त मंत्री चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा 305 करोड़ रुपये के निवेश की मंजूरी दिये जाने में कथित अनियमितताओं को लेकर 15 मई, 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी.
इससे पहले, पी चिदंबरम ने जमानत के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की. न्यायमूर्ति एनवी रमणा, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस मामले का उल्लेख करते हुए शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. पीठ ने कहा कि चिदंबरम की याचिका सूचीबद्ध करने के संबंध में निर्णय के लिए याचिका प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के पास भेजी जायेगी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह इस मामले की जांच अग्रिम दौर में है और उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. यही नहीं, उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज करते हुए अपने फैसले में यह भी कहा था कि यदि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यदि चिदंबरम के खिलाफ मामला साबित हो गया तो यह समाज, अर्थव्यवस्था, वित्तीय स्थिरता और देश की अखंडता के साथ अपराध होगा.
अदालत ने कहा था कि हालांकि चिदंबरम द्वारा साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं है, लेकिन जमानत पर रिहा होने की स्थिति में निश्चित ही वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. अदालत ने विशेष अदालत द्वारा उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने के निर्णय को सही ठहराया था. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 74 वर्षीय चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था. अदालत ने यह भी कहा था कि चिदंबरम देश के एक ताकतवर वित्त मंत्री और गृह मंत्री रह चुके हैं और इस समय राज्य सभा के सदस्य हैं. चिदंबरम के जहां तक देश छोड़कर भागने के जोखिम का सवाल है तो इसके लिए उन्हें पासपोर्ट जमा कराने, उनके लिए लुक आउट नोटिस जारी करने और अदालत की अनुमति के बगैर देश से बाहर नहीं जाने जैसी शर्तें लगायी जा सकती हैं.
अदालत ने यह भी कहा था कि पेश सामग्री से ऐसा लगता है कि विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड इकाई ने 4.62 करोड़ रूपए के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए प्रस्ताव तैयार किया था और आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी देते समय इसे पारित कर दिया गया था. अदालत ने इस तथ्य का भी उल्लेख किया कि 4.62 करोड़ रुपये की बजाय आईएनएक्स मीडिया बगैर किसी मंजूरी के 403 करोड़ रूपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाया. संप्रग सरकार के कार्यकाल में 2004-14 के दौरान चिदंबरम वित्त मंत्री और गृह मंत्री थे. सीबीआई ने 2007 में बतौर वित्त मंत्री चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा 305 करोड़ रुपये के निवेश की मंजूरी दिये जाने में कथित अनियमितताओं को लेकर 15 मई, 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस प्रकरण में धन शोधन का मामला दर्ज किया था.
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि सीबीआई द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों के अनुसार जांच के दौरान पता चला है कि आईएनएक्स मीडिया के पूर्व प्रमोटर पीटर मुखर्जी ने विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड में आवेदन दायर करने से पहले चिदंबरम से कथित रूप से मुलाकात की थी और उन्होंने बोर्ड की मंजूरी का आश्वासन देते हुए इसके बदले अपने पुत्र कार्ति चिदंबरम के व्यापारिक हितों का ध्यान रखने का निर्देश दिया था.