-डीएसपी हत्याकांड-
लखनऊ : सीबीआई ने कुंडा के डीएसपी जिया उल हक की हत्या के मामले में शुक्रवार को विशेष अदालत में एक आरोपपत्र दाखिल किया जिसमें पूर्व मंत्री राजा भैया का नाम नहीं है. जिया उल हक की पत्नी ने पति की हत्या को लेकर जो प्राथमिकी दर्ज कराई थी उसमें राजा भैया एक आरोपी हैं.
सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि राजा भैया की कथित भूमिका की जांच अभी बंद नहीं हुई है और अगर आगे इस बारे में कुछ पता चलता है कि एजेंसी एक पूरक आरोपपत्र दाखिल कर सकती है. उन्होंने बताया कि आरोपपत्र में सीबीआई ने कहा है कि ग्राम प्रधान नन्हे यादव के भाई सुरेश यादव की मौत मौके पर पुलिस के आने के बाद हुए संघर्ष के दौरान खुद उसकी अपनी बंदूक से चली गोली लगने की वजह से हुई थी. इसके बाद जिया उल हक को कथित तौर पर गोली मारी गई थी. सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने डीएसपी की कथित हत्या के लिए नन्हें के पुत्र बबलू यादव, उसके दो भाइयों तथा अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. जांच एजेंसी ने कल विशेष सीबीआई न्यायाधीश मिर्जा जीनत की अदालत में एक आवेदन दाखिल कर पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री का उनकी सहमति से पॉलीग्राफ टेस्ट करने की मांग की है. आवेदन पर सुनवाई की अगली तारीख 11 जून निर्धारित की गई है.
प्रतापगढ़ जिले में कुंडा इलाके के बालीपुर गांव में दो मार्च को जिया उल हक ग्राम प्रधान नन्हें यादव की हत्या के मामले की जांच के लिए गए थे जहां उन्हें गोली मार दी गई थी. डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद ने राजा भैया पर अपने पति की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था, जिसके बाद चार मार्च को राजा भैया ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. सीबीआई ने डीएसपी की हत्या के मामले में 12 लोगों के नाम आरोपियों के तौर पर दिए हैं. इनमें दिवंगत ग्रामप्रधान नन्हें यादव का पुत्र योगेन्द्र यादव उर्फ बबलू, उसके भाई फूलचंद यादव, पवन यादव और अन्य पड़ोसी रघुवेन्द्र यादव उर्फ दबलू, मंजीत यादव, घनश्याम यादव, रामलखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे उर्फ पाने, मुन्नालाल पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्लेपाल शामिल हैं.
बताया जाता है कि जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल राजा भैया का अंगरक्षक है. पूर्व मंत्री ने उससे कोई संबंध होने से इंकार किया है. सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा है कि कुंडा के तत्कालीन सर्किल अधिकारी जिया उल हक ग्रामप्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद उत्पन्न कानून व्यवस्था की स्थिति के सिलसिले में यादव के घर गए थे. नन्हें यादव के समर्थकों और परिजनों ने सुरेश यादव की अगुवाई में तत्कालीन सर्किल अधिकारी और उनके साथ गए तीन पुलिस अधिकारियों पर हमला कर दिया. आरोपपत्र के अनुसार, अधिकारी को पकड़ कर आरोपियों ने क्रूरतापूर्वक हमला किया लेकिन तीनों अन्य पुलिस अधिकारी भाग निकले. इसी बीच, सुरेश यादव अपनी बंदूक से जब सर्किल अधिकारी को मार रहा था तब खुद उसे अपनी ही बंदूक की गोली लग गई. अन्य आरोपी व्यक्तियों ने जिया उल हक को मार डाला.