आरे पर न्यायालय का आदेश पर्यावरण कार्यकर्ताओं की नैतिक जीत : शिवसेना

मुंबई : मेट्रो कोच शेड के लिए यहां आरे कॉलोनी में और पेड़ काटने से प्रशासन को रोकने के उच्चतम न्यायालय के आदेश की सराहना करते हुए शिवसेना ने सोमवार को कहा कि यह पर्यावरणविदों के लिए नैतिक जीत है. शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने कहा कि आरे क्षेत्र को जंगल नहीं घोषित करना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2019 4:41 PM

मुंबई : मेट्रो कोच शेड के लिए यहां आरे कॉलोनी में और पेड़ काटने से प्रशासन को रोकने के उच्चतम न्यायालय के आदेश की सराहना करते हुए शिवसेना ने सोमवार को कहा कि यह पर्यावरणविदों के लिए नैतिक जीत है.

शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने कहा कि आरे क्षेत्र को जंगल नहीं घोषित करना सरकार की गलती थी और अफसोस जताया कि दो दिनों में करीब 2100 पेड़ काट दिये गये. विधान पार्षद ने कहा, आरे में यथास्थिति बनाये रखने का उच्चतम न्यायालय का निर्देश परियोजना का विरोध कर रहे पर्यावरणविदों और मुंबई के बाशिंदों की नैतिक जीत है. शिवसेना, सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी है लेकिन शहर के हरित क्षेत्र में पेड़ काटे जाने के फैसले पर उसने अलग रुख अपना रखा है. उच्चतम न्यायालय ने मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कोच शेड बनाने के लिए पेड़ काटे जाने पर फिलहाल रोक लगा दी है और इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई के लिए 21 अक्तूबर की तारीख तय की है.

इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए कायंदे ने कहा, यह सरकार की गलती है कि उसने आरे को जंगल घोषित नहीं किया. यह जानकर बहुत बुरा लग रहा है कि दो दिनों में ही करीब 2100 पेड़ काट दिये गये. उन्होंने हैरानी जतायी, सरकार ने पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहे पर्यावरण कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार कर लिया. राज्य के लिए लोगों की आवाज को दबाना इतना जरूरी क्यों है? उन्होंने सवाल किया, राज्य सरकार मेट्रो-तीन परियोजना के लिए आरे की जैव विविधता को क्यों बर्बाद करना चाहती है.

दूसरीतरफ उच्चतम न्यायालय के आदेश का सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी कांग्रेस तथा राकांपा के नेताओं ने स्वागत किया है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और राकांपा नेता सुप्रिया सुले ने भाजपा नीत राज्य सरकार पर पेड़ काटने में जल्दबाजी करने तथा पर्यावरण कार्यकर्ताओं और आम जनता की आवाज दबाने का आरोप लगाया. इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई के इस हरे-भरे क्षेत्र में वृक्षों को गिराने की अनुमति देने के फैसले को चुनौती देने की कुछ गैर सरकारी संगठनों और कार्यकर्ताओं की चार याचिकाओं को खारिज कर दिया था. सुले ने कहा, महाराष्ट्र सरकार ने जिस हड़बड़ी में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी, वो निंदनीय है.

बारामती से लोकसभा सदस्य सुले ने ट्वीट किया, आरे पर उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है. हालांकि, उच्चतम न्यायालय में महाराष्ट्र सरकार की यह स्वीकारोक्ति चिंताजनक है कि जरूरी संख्या में पेड़ों की कटाई कर ली गयी है. उन्होंने कहा, मैं पिछले सप्ताह रात में पेड़ों की कटाई शुरू करने के राज्य सरकार के फैसले की निंदा करती हूं. अंतिम निर्णय आया भी नहीं था, लेकिन फिर भी सरकार ने पेड़ काटने में जल्दबाजी की.

चव्हाण ने भी देवेंद्र फडणवीस नीत राज्य सरकार पर आरे में पेड़ों को कटाई को लेकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, उच्चतम न्यायालय का आदेश भाजपा-शिवसेना सरकार के चेहरे पर जोरदार तमाचा है जिसने आरे में पेड़ों की कटाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे आम लोगों और कार्यकर्ताओं की आवाज को दबाने की कोशिश की. सेंट जेवियर्स कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रमुख तथा शहर के काश फाउंडेशन में न्यासी प्रोफेसर अवकाश जाधव ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और शुक्रवार की देर रात पेड़ों की कटाई के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की. आरे संरक्षण समूह के सदस्य तस्मीन शेख ने भी फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि एमएमआरसीएल ने हमेशा ढुलमुल तर्क पेश किये और हमने तार्किक रूप से उनका विरोध किया.

Next Article

Exit mobile version