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अमृतसर का दशहरा कांड: एक साल बाद भी हादसे के जख्म हरे, न दोषियों को सजा मिली, न पीड़ितों को नौकरी

अमृतसरः अमृतसर के लोगों के लिए यह दशहरा पिछले साल के हादसे की खौफनाक यादें ले कर आया है जब रेलवे पटरियों पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे 61 लोगों को एक ट्रेन कुचलती चली गई थी. 19 अक्टूबर 2018 की शाम अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास एक डीएमयू (डीजल मल्टीपल यूनिट) रेलवे […]

अमृतसरः अमृतसर के लोगों के लिए यह दशहरा पिछले साल के हादसे की खौफनाक यादें ले कर आया है जब रेलवे पटरियों पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे 61 लोगों को एक ट्रेन कुचलती चली गई थी. 19 अक्टूबर 2018 की शाम अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास एक डीएमयू (डीजल मल्टीपल यूनिट) रेलवे लाइन पर खड़ी भीड़ को कुचलती चली गई थी.

हादसे के पीड़ित राजेश कुमार ने कहा कि मेरे पिता बलदेव कुमार की हादसे में गंभीर रुप से घायल होने के पांच माह बाद मृत्यु हो गयी थी. हम आज भी उनका नाम हादसे के मृतकों की सूची में दर्ज कराने के लिए भाग-दौड़ कर रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार या राज्य सरकार की तरफ से उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला.

मृतक बलदेव कुमार की पत्नी कांता रानी का कहना है कि पति की मौत के बाद दो वक्त का भोजन मिलना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि पंजाब के पूर्व मंत्री और स्थानीय विधायक नवजोत सिंह सिद्धू और उनका परिवार भी हमारी पीड़ा नहीं सुन रहे. जो भी बचत हमने कर रखी थी वह सब पति के इलाज में खर्च हो गई और अब हम असहाय महसूस कर रहे हैं.

हादसे में पति दिनेश (32) और बेटे अभिषेक(9) को खो चुकी प्रीति रोते हुए कहती हैं कि मुआवजा हमारे लिए पर्याप्त नहीं था. मुझे एक सरकारी नौकरी चाहिए और गुनहगारों को सजा मिलनी चाहिए. अन्यथा मेरा पूरा जीवन ऐसे ही बदहवास गुजर जाएगा. हादसे में अपने 15 वर्षीय बेटे सचिन को खो चुके नवजीत कहते हैं कि कोई मेरे बेटे को वापस नहीं ला सकता. कम से कम हमारी सरकार को इन रेल दुर्घटनाओं की जिम्मेदारी लेनी चाहिए जिससे भविष्य में ऐसे हादसे ना हो. गुनहगारों को कड़ी सजा मिलेगी तभी ऐसे हादसे रुकेंगे.

शासन का कहना है कि इस बार हमने दशहरा आयोजनों के लिए अनुमति देने में सावधानी बरती है. पुलिस उपाधीक्षक जगमोहन सिंह ने पीटीआई भाषा को बताया ‘‘इस बार आयोजन के स्थान का परीक्षण करने के बाद और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दशहरा मनाने की अनुमति दी गयी है. इस बार रेलवे पटरियों के पास ऐसे आयोजनों की अनुमति नहीं दी गई है.

उन्होंने बताया कि पिछले साल के हादसे को ध्यान में रखते हुए सिर्फ 10 जगहों पर रावण दहन की अनुमति दी गयी है जबकि पिछले साल 19 जगहों पर दशहरा आयोजन किए गए थे. 28 सितंबर को हादसे के 30 पीड़ित परिवार पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के आवास के सामने नौकरी की मांग लेकर धरने पर बैठे थे.

पिछले साल 19 अक्तूबर को हुए आयोजन में नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित थीं. इसी आयोजन के दौरान हादसा हुआ था. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि सिद्धू ने उनका मासिक खर्च और बच्चों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने का वादा किया था लेकिन अब तक कुछ भी ऐसा नहीं हुआ.

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