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मोदी-जिनपिंग की दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक कल, तमिलनाडु के मामल्लापुरम में इन मुद्दों पर होगा मंथन

इस सप्ताह के अंत में चीन के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक अनेक क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों की पृष्ठभूमि में हो रही है. चीन ने कश्मीर मामले पर अपने पूर्ववर्ती रुख से अलग हटते हुए पाकिस्तान का साथ देने का संकेत दिया है. रिपोर्टों के अनुसार, अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में भारत भी इस […]

इस सप्ताह के अंत में चीन के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक अनेक क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों की पृष्ठभूमि में हो रही है. चीन ने कश्मीर मामले पर अपने पूर्ववर्ती रुख से अलग हटते हुए पाकिस्तान का साथ देने का संकेत दिया है. रिपोर्टों के अनुसार, अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में भारत भी इस मसले पर किसी तरह का स्पष्टीकरण नहीं देगा. अरुणाचल प्रदेश में भारत का सैन्याभ्यास भी आंतरिक मुद्दा है.

इन बातों के अलावा 16 देशों के व्यापार समझौते पर भी परस्पर चिंताओं पर चर्चा का अनुमान है. वैश्विक अर्थव्यवस्था, विश्व व्यापार संगठन और पर्यावरण पर भी दोनों नेता विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं. इस शिखर बैठक के विभिन्न पहलुओं के विश्लेषण के साथ प्रस्तुत है आज का इन-डेप्थ…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग के बीच होनेवाली दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता की तिथि घोषित कर दी गयी है. भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच 11-12 अक्तूबर को चेन्नई के मामल्लापुरम में इस शिखर वार्ता का आयोजन होगा. मंत्रालय ने कहा कि ये शिखर वार्ता दोनों नेताओं को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर व्यापक बातचीत जारी रखने का अवसर प्रदान करेगी.

क्या होती है अनौपचारिक शिखर वार्ता

अनौपचारिक शिखर वार्ता अमूमन, वार्षिक शिखर सम्मेलन, जी-20, ब्रिक्स वार्ता जैसे दूसरे औपचारिक शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि तैयार करती है. अनौपचारिक वार्ता में देशों के बीच आपसी विचारों के प्रत्यक्ष, स्वतंत्र और स्पष्ट आदान-प्रदान की अनुमति होती है. खासकर उन मुद्दों पर जिसके बारे में औपचारिक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों के माध्यम से बातचीत करना संभव नहीं हो पाता है. अनौपचारिक शिखर वार्ता के आयोजन के लिए कोई निश्चित अवधि निर्धारित नहीं होता है. जैसा कि औपचारिक शिखर वार्ता के लिए होता है, वार्षिक या द्विवार्षिक. आवश्यकता पड़ने पर तात्कालिक तौर पर संबंधित देशों द्वारा इनका अायोजन किया जाता है.

चूंकि, अनौपचारिक शिखर वार्ता में व्यापक मुद्दों पर चर्चा की अनुमति होती है, ऐसे में इसमें कोई विशिष्ट उद्देश्य निहित नहीं होता है. ऐसा भी माना जाता है कि कभी-कभी यह वार्ता औपचारिक आदान-प्रदान की तुलना में राजनयिक बातचीत के दौरान अपेक्षाकृत बड़ी भूमिका का निर्वाह कर जाता है. ऐसा मानने का कारण इस वार्ता में होनेवाली चर्चा का अपेक्षाकृत गंभीर और लचीला होना है.

वुहान शिखर सम्मेलन-2018

नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी-जिनपिंग के बीच पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता 27-28 अप्रैल, 2018 को वुहान में आयोजित की गयी थी. इस आयोजन का मकसद द्विपक्षीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करना था. साथ ही, वर्तमान और अंतरराष्ट्रीय स्थितियों के संदर्भ में राष्ट्रीय विकास के लिए दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को विस्तृत करने का मुद्दा भी शामिल था.

वुहान सम्मेलन की मुख्य बातें

इस शिखर वार्ता में मोदी और शी के बीच भारत-चीन सीमा विवाद, द्विपक्षीय व्यापार व निवेश, आतंकवाद, आर्थिक विकास और वैश्विक शांति सहित कई विषयों पर चर्चा हुई थी.

दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जतायी थी कि भारत और चीन दो बड़ी अर्थव्यवस्था और प्रमुख शक्ति के तौर पर उभरे हैं और इसके क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के अपने निहितार्थ हैं. दोनों ने यह भी माना था कि मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच स्थिरता लाने के लिए दोनों देशों के शांतिपूर्ण, स्थिर और संतुलित संबंध सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं.

दोनों देश क्षेत्र के अनुकूल विकास और समृद्धि के लिए द्विपक्षीय संबंधों के लिए अनुकूल हालात बनाने पर सहमत हुए. साथ ही पारस्परिक रूप से लाभप्रद और दीर्घकालिक तौर पर क्लोजर डेवलपमेंट पार्टनरशिप को मजबूत करने का निर्णय भी लिया गया.

इस वार्ता में दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी सेना के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन जारी करने और सीमा क्षेत्र में शांति बनाये रखने के लिए मौजूदा तंत्र को मजबूत करने पर सहमति जतायी थी.

प्रधानमंत्री मोदी ने आध्यात्मिकता, परंपरा, व्यापार व प्रौद्योगिकी, संबंध, मनोरंजन, प्रकृति संरक्षण, खेल, पर्यटन और उपचार व चिकित्सा के माध्यम से लोगों के बीच आपसी संपर्क (पीपल टु पीपल कॉन्टैक्ट) पर जाेर दिया था.

चीनी राष्ट्रपति शी ने कहा था कि दोनों देशों को मल्टीपोलर यानी बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था और वैश्वीकरण के लिए खड़ा होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा था कि चीन और भारत वैश्विक विकास के महत्वपूर्ण इंजन हैं और वे बहुध्रुवीय और वैश्वीकृत दुनिया को बढ़ावा देने वाले केंद्रीय स्तंभ हैं. इसलिए, वैश्विक शांति और स्थिरता बनाये रखने के लिए चीन-भारत के बीच अच्छे संबंध होना जरूरी है.

ये हो सकते हैं अहम मुद्दे

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चेन्नई के पास मामल्लापुरम में अनौपचारिक वार्ता 11-12 अक्तूबर को प्रस्तावित है. इस दौरान आपसी सहयोग, क्षेत्रीय शांति, द्विपक्षीय व्यापार समेत विभिन्न मुद्दों पर वार्ता हो सकती है.

भारत का चीन के साथ भारी व्यापार घाटा है, इसके मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी भारतीय उत्पादों का निर्यात बढ़ाने पर चर्चा कर

सकते हैं.

सीमा पर दोनों देशों की गश्ती सेनाओं के बीच टकराव की स्थिति को देखते हुए मतभेदों को सुलझाने का प्रयास शुरू हो सकता है.

वार्ता में एक अहम मुद्दा बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार (बीसीआईएम) कॉरिडोर भी हो सकता है. इस कॉरिडोर के जरिये चीन अपने कुनमिंग क्षेत्र से म्यांमार-बांग्लादेश और भारत को जोड़ना चाहता है.

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा बनने के लिए भारत को चीन कई बार प्रस्ताव दे चुका है. हालांकि, भारत इस परियोजना में शामिल नहीं होने के अपने रुख पर कायम है. पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) से सीपीईसी के गुजरने का भारत विरोध कर चुका है.

अमेरिकी-चीन ट्रेड वॉर और इससे पड़ने वाले व्यापक आर्थिक असर पर दोनों देश वार्ता कर सकते हैं. इसके अलावा दोनों देश आतंकवाद और क्षेत्रीय शांति के मुद्दे पर बातचीत करेंगे.

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